आयुष्मान खुराना की 'शुभ मंगल ज्यादा सावधान' रिलीज जल्द ही रिलीज होने वाली है. 'शुभ मंगल ज्यादा सावधान' समाज के एक ऐसे गंभीर और संजीदा मुद्दे को उठाती है जिसे लेकर समाज अभी तक सहज नहीं हो पाया है. फिल्म का ट्रेलर देखकर आपने इस बात का अंदाजा तो लगा ही लिया होगा कि यह फिल्म 'गे समुदाय' पर आधारित है. लेकिन इस मुद्दे को उठाती हुई ये पहली फिल्म नहीं है. बॉलीवुड इससे पहले भी ऐसे बोल्ड मुद्दों पर फिल्में बनाता रहा है. हालांकि इन फिल्मों को संख्या जरा कम है. लेकिन ऐसे कोशिशें लगातार होती रही हैं.


 'शुभ मंगल ज्यादा सावधान' से पहले 'फायर', 'अलीगढ़', 'आई एम' और 'कपूर एंड संस' बॉलीवुड की ऐसी फिल्में हैं जिनसे स्टीरियोटाइप तोड़ने का काम किया गया है. इन फिल्मों में स्टोरी पर ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है ताकि दर्शकों को शुरू से अंत तक बांध कर रखा जा सके.


2018 में सेक्शन 377 में सेक्शन LGBT समुदाय के लिए एक नए युग की शुरुआत हुई. कई LGBT मूवमेंट्स सामने आये, कई गे डेटिंग एप्प भी मार्किट में आये. बॉलीवुड में LGBT  कंटेंट सिने जगत में एक नए युग की ओर एक छोटा सा कदम है. इस फिल्म में आयुष्मान के साथ उनकी 'बधाई हो' को-स्टार नीना गुप्ता, गजराज राव और भूमि पेडनेकर मुख्य भूमिका में हैं. आयुष्मान और भूमि की 'दम लगा के हईशा' को भी दर्शकों ने खूब सराहा था.


21 फरवरी को रिलीज़ हो रही शुभ मंगल ज्यादा सावधान के अलावा ये हैं बॉलीवुड की कुछ गे फिल्में जो आपको जरूर देखनी चाहिए.


1. कपूर एंड संस (2016)

रत्ना पाठक शाह और फवाद खान के अभिनय से सजी फिल्म में अपने बेटे को लेकर अपनी मां की चिंता को बखूबी दिखाया गया है. इसमें दिखाया गया है कि जब एक मां अपने बेटे के लैपटॉप में कुछ ऐसी तस्वीरें देखती है जिनसे लगता है कि वह गे है तो कपूर फैमिली में किस तरह से ड्रामा होता है.


2. अलीगढ़ (2015)

रियल लाइफ गे टीचर पर आधारित यह फिल्म भी काफी सराहनीय है. हंसल मेहता और मनोज बाजपेयी अभिनीत इस फिल्म में दिखाया गया है कि किस तरह एक छात्र को सस्पेंड करने की धमकी दी जाती है और इससे बचने के लिए छात्र अपने टीचर को शारीरिक तौर पर संतुष्ट करता है.


3. मार्गरीटा विद ए स्ट्रॉ (2014)

बाइसेक्सुअल फिल्मकारों में सोनाली बोस का नाम सबसे पहले आता है. कल्की कोचलीन और सयानी गुप्ता को इस फिल्म में समलैंगिक जोड़ी के तौर पर दिखाया गया है. लैला (कल्की कोचलीन) इस फिल्म में सामाजिक तौर पर काफी भेदभाव का सामना करती नजर आई है.


4. बॉम्बे टॉकीज़ (2013)

करण जौहर ने 'दोस्ताना' और 'कल हो न हो' के जरीए गे कॉनेसेप्ट आम लोगों के बीच लाने की कोशिश की. बॉम्बे टॉकीज़ भी ऐसी ही एक फिल्म है. इसमें मदद की आस में शादीशुदा जिन्दगी से नाखुश रणदीप हुडा की नजदीकी साकीब सलीम से बढ़ते दिखाया गया है. इस फिल्म में 2 मर्दों के बीच लीप-लॉक दिखाया गया है.


5. फायर (1996)

1996 में दीप्ता मेहता की फिल्म फायर भी काफी विवादास्पद रही है. शबाना आज़मी और नंदीता दास को इसमें समलैंगिक जोड़े के तौर पर दिखाया गया है.