हिंदी सिनेमा में कई सितारे आए और गए, लेकिन देवानंद वह नाम हैं जो कभी दिलों से उतरते नहीं. धर्मदव पिशोरीमल आनंद, जिन्हें 'सिनेमा का देव' भी कहा जाता है. आज 3 दिसंबर उनकी पुण्यतिथि पर एक बार फिर यादों के बीच हैं. उनका अंदाज, उनकी कहानियां और उनकी मुस्कान, आज भी हम सब के दिलों में मौजूद हैं. 'जब देव साहब को समझ लिया शम्मी कपूर'एक्ट्रेस शायरा बानो ने देव आनंद के लाइफ से रिलेटेड एक बेहद दिलचस्प स्टोरी शेयर की थी. लेबनान के बालबेक में खंडहरों के बीच गाने की शूटिंग हो रही थी. माहौल खूबसूरत था और भीड़ में एक्साइटमेंट भरपूर थीं. अचानक वहां खड़े फॉरेन फैन्स ने 'शम्मी कपूर, शम्मी कपूर' चिल्लाने लगे. उन्हें लगा कि स्क्रीन पर छाया रहने वाला उनका फेवरेट स्टार सामने खड़ा है. एक्ट्रेस ने बताया कि अगर कोई और होता तो शायद सोच में पड़ जाता या थोड़ा नाराज हो जाता. लेकिन देव साहब ने हल्की मुस्कुराहट के साथ हाथ हिलाते हुए कहा, हां, 'मैं ही शम्मी कपूर हूं'. उन्हें उस पल समझ आया कि देव साहब का दिल सच में कितना बड़ा हैं.

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'हमेशा स्माइल, हमेशा स्टाईल-देवानंद का तरीका'देवानंद कभी भी अपनी परेशानियां दुनिया को नहीं दिखाते थे. उनका मानना था कि इंसान को दुनिया के सामने खुश, कॉन्फिडेंट और पॉजिटिव दिखना चाहिए. यही वजह है कि उनका प्रेजेंस अपने में एक फील गुड मोमेंट बन जाता था.

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'माय फैंस कैन्ट सी मी विक'- देवानंदअपनी ऑटोबायोग्राफी रोमांसिंग विद लाइफ में उन्होंने एक बात लिखी थी कि एक छोटी-सी बीमारी के लिए वे लंदन गए और चुपचाप ऑपरेशन करवा लिया. और किसी को भी इसकी खबर तक नहीं लगने दी.फैंस के लिए उनका प्यार ही अलग था.

एक छोटा-सा लेटर और बदल गई पूरी लाइफगुरदासपुर में जन्मे देवानंद फिल्मों में आने से पहले बॉम्बे के एक ऑफिस में जॉब करते थे. वहां वो अफसरों के लव लेटर्स टाइप करते थे. उन्हीं लेटर्स की रोमांटिक लाइनों ने उनके अंदर का आर्टिस जगा दिया. बात कुछ ये है कि एक दिन एक लेटर में बस दो शब्द लिखे थे. 'बस करो', देव साहब ने मानो इसे इशारा समझा और नौकरी छोड़ कर फिल्मी दुनिया में कदम रख दिया.

देवानंद का जादू, उनकी कहानियां और उनका अंदाज. ये सब आज भी उतने ही ताज़ा है. उनकी पुण्यतिथि पर उनका जीवन एक बार फिर याद दिलाता है कि वे सिर्फ एक्टर नहीं थे. बल्कि एक लेजेंडरी फीलिंग्स थे.