दिल्ली हाई कोर्ट में अशोक चक्र विजेता दिवंगत मेजर मोहित शर्मा के पेरेंट्स की याचिका पर सुनवाई हुई. परिवार ने अपनी याचिका में मांग की थी कि फिल्म धुरंधर की रिलीज पर रोक लगाई जाए, क्योंकि उन्हें शक है कि फिल्म उनके बेटे की जिंदगी से इंस्पायर्ड है और उसकी गलत इमेज पेश कर सकती है.
दिल्ली हाई कोर्ट में मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस सचिन दत्ता ने याचिकाकर्ता के वकील से पूछा कि आखिर कैसे साबित हुआ कि ये फिल्म मेजर मोहित शर्मा के जिंदगी पर बेस्ड है इस पर वकील ने कहा कि फिल्म के ट्रेलर और प्रमोशनल कंटेंट से ऐसा ही दिखाई देता है. उन्होंने सोशल मीडिया पर आए दर्शकों और आलोचकों के रिएक्शन का भी हवाला दिया जिनमें फिल्म का कनेक्शन मेजर शर्मा से जोड़ा जा रहा है.
सीबीएफसी ने फिल्म को बताया पूरी तरह काल्पनिकदिल्ली हाईकोर्ट ने मामले के सुनवाई के दौरान सवाल किया कि इसमें असल में क्या समानताएं हैं और क्या कहानी साफ तौर पर उनकी जिंदगी से मिलती है. इसी दौरान केंद्र सरकार की ओर से पेश वकील ने बताया कि फिल्म के सर्टिफिकेशन का काम अभी सीबीएफसी में चल रहा है. कमिटी ने फिल्म देख ली है और उसकी राय में ये पूरी तरह काल्पनिक है और किसी शख्स की जिंदगी पर बेस्ड नहीं है. उन्होंने कहा कि फॉर्मैलिटी जारी हैं और जरूरत पड़ने पर फिल्म को सेना के पास भी भेजा जा सकता है.
हाई कोर्ट ने दिया सुझाव दिल्ली हाई कोर्ट ने भी मामले में सुनवाई करते हुए सुझाव दिया कि मामला संवेदनशील है इसलिए इसे सेना के पास भेजना बेहतर होगा. मेजर शर्मा के परिवार ने फिल्म की एक निजी स्क्रीनिंग की मांग भी की ताकि वे खुद देख सकें कि फिल्म में क्या दिखाया गया है. फिल्म निर्माताओं की ओर वकील ने दलील दी कि यह याचिका जल्दबाजी में दायर की गई है. अभी केवल फिल्म का ट्रेलर जारी हुआ है और इस स्टेज पर किसी तरह की रोक लगाना उचित नहीं होगा. उन्होंने साफ कहा कि फिल्म का मेजर मोहित शर्मा से कोई लेना-देना नहीं है.
दिल्ली हाई कोर्ट का आदेश दिल्ली हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि फिल्म का सर्टिफिकेशन भी सीबीएफसी के पास पेंडिंग है और वही आखिरी फैसला लेगा. कोर्ट ने याचिका का निपटारा करते हुए निर्देश दिया कि सीबीएफसी मेजर शर्मा के परिवार की चिंताओं को गंभीरता से सुने और उनकी बातों पर ध्यान दे.