Rajpal Yadav Birthday Special: बॉलीवुड फिल्मों में कॉमेडी का तड़का लगाने वाले वैसे तो कई कलाकार हैं, लेकिन कुछ ऐसे होते हैं, जिन्हें हर तरह के किरदार में जान फूंकने के लिए जाना जाता है. ये सितारे ऐसे होते हैं, जो स्क्रीन पर अपनी मौजूदगी से सबको पेट पकड़कर हंसने के लिए मजबूर कर देते हैं. इन्हीं में से एक हैं, हम सबके चहेते राजपाल यादव. क्या आपने कभी सोचा है कि पर्दे पर जोर-जोर से ठहाके लगाने के लिए मजबूर करने वाले कॉमेडियन की असल जिंदगी कितनी काली-अंधेरी रातों से होकर गुजरी होगी? रूपहले पर्दे पर 'लेडीज टेलर' बन वाहवाही लूटने वाले राजपाल असल जिंदगी में भी लोगों के कपड़े सिलकर अपने परिवार के लिए दो वक्त की रोटी कमाते थे. अभिनेता के 52वें जन्मदिन पर उनकी जिंदगी के कुछ अनसुने किस्सों से रूबरू कराते हैं...

जब बुरे 'वक्त' को हरा राजपाल ने पूरी की पढ़ाई

पिछले तीन दशक से अपनी कॉमेडी से सिनेमाघरों में 'धमाल' मचाने वाले राजपाल यादव का जन्म 16 मार्च 1971 के दिन उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में हुआ था. आज करोड़ों की दौलत से 'मालामाल' राजपाल के घर की माली हालत बेहद खराब थी. आलम यह था कि उनके सिर पर पक्की छत भी नहीं थी. इतनी खस्ता हालत के बाद भी अभिनेता के पिता ने समय के साथ 'कुश्ती' लड़कर उन्हें दूसरे गांव के अच्छे स्कूल में पढ़ाया. पिता का जुनून और राजपाल यादव की लगन का ही नतीजा है कि उन्होंने 'वक्त' को हराकर अपनी पढ़ाई पूरी की.

पर्दे का 'लेडीज टेलर' जब असलियत में बना दर्जी

पढ़ाई पूरी करने के बाद राजपाल ने अपने पिता का सहारा बनने की ठानी और जिंदगी की रेस में उनका 'पार्टनर' बनने निकल पड़े. जी हां, पढ़ाई में 'धमाल' मचाने के बाद राजपाल ने रोजी-रोटी कमाने के लिए अपने अंदर टेलरिंग का गुण पैदा किया. अपने पिता और परिवार को सपोर्ट करने और अपनी जीवन रूपी वर्दी में एक एक्स्ट्रा सितारा जड़ने के लिए अभिनेता ने ऑर्डिनेंस क्लॉथ फैक्ट्री में टेलरिंग से अप्रेंटिस का कोर्स किया और टेलर बन गए. हालांकि, राजपाल को टेलर की नौकरी में सुकून नहीं मिला, क्योंकि उनके दिमाग में एक्टिंग का ऐसा कीड़ा था, जो उन्हें कहीं भी शांति से काम नहीं करने दे रहा था. ऐसे में राजपाल ने अपने जीवन की कायापलट करने के लिए 'एक्शन रिप्ले' किया और अभिनय में कदम रखने की ठानी.

जब देवदूत बने मायानगरी के लोग

अभिनय की दुनिया की ओर राजपाल ने पहला कदम लखनऊ की भारतेंदु नाट्य अकेडमी और दिल्ली के नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा से थिएटर व एक्टिंग की पढ़ाई करने की ओर उठाया. इसके बाद राजपाल अपने जीवन की 'मस्ती एक्सप्रेस' लेकर मायानगरी पहुंचे, जहां उन्होंने काम की तलाश में दरबदर की ठोकरें खाईं. कई बार तो ऐसा समय भी आया, जब उनके पास ऑटो के किराये के पैसे भी नहीं होते थे. लेकिन कहावत है न, जिसका भगवान होता है, उसे किसी भी चीज के लिए परेशान होने की जरूरत नहीं होती. ज्यादातर लोगों के लिए बुरे माने जाने वाले इंडस्ट्री के लोग राजपाल के लिए देवदूत साबित हुए और मायानगरी मुंबई में उनकी खूब मदद की. यह बात खुद राजपाल ने बताई थी. मेहनत, लगन और मन में आशा की किरण लिए सड़कों पर घूमने वाले राजपाल ने 'खट्टे मीठे' दिन देखने के बाद दूरदर्शन से करियर की शुरुआत की.

जब 'मालामाल' हुई राजपाल की किस्मत

टीवी की दुनिया में कदम रखने वाले राजपाल ने खुद को स्थापित करने के लिए छोटे-छोटे किरदारों से शुरुआत की और कुछ ही समय में उन्हें काम मिलने लगा. हालांकि, अभिनेता के दिलों-दिमाग में बड़े पर्दे पर छाने की तमन्ना थी. उनकी इस दिली ख्वाहिश को शांति 1999 में आई फिल्म 'दिल क्या करे' से मिली. इस फिल्म में छोटा सा रोल करने के बाद राजपाल कई फिल्मों में छोटे-छोटे रोल करते दिखे, लेकिन अब भी उनकी जिंदगी में 'भागम भाग' ही थी. अभिनेता ने फिल्म 'जंगल' में विलेन बनकर बॉलीवुड में पैर पसारने चाहे, लेकिन कामयाबी हाथ नहीं लगी. राजपाल की किस्मत की गाड़ी 'मालामाल' फिल्म 'प्यार तूने क्या किया' से हुई. इसके बाद अभिनेता ने एक से बढ़कर एक फिल्मों में काम किया, जिनमें उनकी अदायगी का कायल पूरा जमाना हो गया. इन फिल्मों में 'हंगामा', 'अपना सपना मनी मनी', 'भूल भुलैया', 'चुप चुप के', 'फिर हेरा फेरी', 'ढोल', 'मैं', 'मेरी पत्नी और वो', 'मुझसे शादी करोगे', 'गरम मसाला', 'भूतनाथ' जैसे कई बड़े नाम शामिल हैं.

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