नई दिल्ली: वर्तमान में भारतीय सिनेमा में ‘रियलिज्म’ को ज्यादा तवज्जो दिए जाने पर जाने-माने अभिनेता मनोज बाजपेयी ने कहा कि ‘रियलिस्टक सिनेमा’ के नाम पर असल में बहुत बड़ा धोखा किया जा रहा है.

भारत रंग महोत्सव-2017 में एक चर्चा के दौरान वाजपेयी ने कहा, ‘‘आजकल फिल्मों में ‘रियलिज्म’ पर ज्यादा जोर है और किरदारों का चरित्र गढ़ना (कैरेक्टराइजेशन) कहीं पीछे छूट गया है.’’

उन्होंने कहा, ‘‘आजकल इस शब्द (रियलिज्म) के नाम पर बहुत धोखा चल रहा है. लोगों को लगता है कि धीरे-धीरे बोल दो ‘रियलिस्टिक’ हो जाएगा. कई बार तो ऐसा होता है कि हमें अपने साथी कलाकार के संवाद भी सुनाई नहीं देते क्योंकि वो ‘रियलिस्टिक अभिनय’ कर रहा होता है.’’

राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से सम्मानित वाजपेयी ने इस संबंध में दिवंगत अभिनेता ओमपुरी का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘उन्होंने उस समय जो ‘अर्धसत्य’ में किया वह वास्तविक अभिनय (रियलिस्टिक एक्टिंग) था और आज के दौर में भी कोई उसे करेगा तो वह रियलिस्टिक ही होगा क्योंकि वह चरित्र ऐसा गढ़ा गया है. इसलिए चरित्र गढ़ा जाना महत्वपूर्ण है.’’

अपने अभिनय के बारे में उन्होंने कहा, ‘‘मेरे लिए चरित्र महत्वपूर्ण है. किसी फिल्म में काम शुरू करने से पहले एक महीना मेरा उस किरदार में घुसने में ही जाता है.’’ भारत में स्वतंत्र सिनेमा के पिछड़ने के पीछे उन्होंने कहा कि इसके लिए दर्शक ही दोषी हैं. वह इस तरह के सिनेमा पर पैसे खर्च नहीं करना चाहते और पाइरेटेड डीवीडी उनकी इस मामले में मदद कर देती हैं.

हालांकि उन्होंने उम्मीद जताई कि हंसल मेहता और अनुराग कश्यप जैसे निर्देशकों की बदौलत भविष्य में इस तरह की फिल्मों को दर्शक पसंद करेंगे. गौरतलब है कि वाजपेयी ने मेहता के साथ ‘अलीगढ़’ और कश्यप के साथ ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ जैसी फिल्मों में काम किया है.