आज बॉलीवुड के मशहूर अभिनेता विनोद खन्ना का निधन हो गया है. उनका नाम सुनते ही ज़ेहन में उभरती है एक बेहद हैंडसम, खूबसूरत और दमदार शख्सियत वाले स्टार की तस्वीर. एक ऐसा सितारा जिसका वक़्त भले ही गुज़र गया, लेकिन हैंडसम और गुडलुकिंग जैसे शब्द विनोद खन्ना के साथ मानो सदा के लिए जुड़े रहे.
6 अक्टूबर, 1946 को पेशावर के एक मध्यवर्गीय पंजाबी परिवार में जन्मे विनोद का परिवार देश के विभाजन के बाद पेशावर से मुंबई आ गये थे. 1968 में अभिनेता सुनील दत्त ने नौजवान विनोद को अपनी होम प्रोडक्शन फिल्म 'मन का मीत' में बतौर विलेन लांच किया. यह फिल्म सुनील दत्त ने अपने भाई सोमदत्त को बतौर हीरो लांच करने के लिए बनाई थी. सोमदत्त तो कोई मक़ाम हासिल नहीं कर पाए मगर विनोद की गाड़ी चल निकली.
इंडस्ट्री में विनोद की चर्चा बॉलीवुड के सबसे हैंडसम विलेन के तौर पर होने लगी और उन्होंने मनोज कुमार के साथ पूरब और पश्चिम और सुपरस्टार राजेश खन्ना के साथ आन मिलो सजना और सच्चा झूठा जैसी बड़ी फिल्मों में नेगेटिव रोल किए.1971 में गुलज़ार की फिल्म मेरे अपने में उनके अभिनय की बहुत तारीफ हुई और फिर आई इसी साल आई ब्लॉकबस्टर फिल्म मेरा गांव मेरा देश. डाकू जब्बर सिंह के किरदार में विनोद छा गए। इसी फिल्म से वो सही मायने में बड़े स्टार बने. स्टार बनने के बाद उन्होंने अपनी बचपन की दोस्त गीतांजलि से शादी कर ली. उनके दो बेटे अक्षय़ खन्ना और राहुल खन्ना हुए जो आगे चलकर एक्टर बने.
बॉलवुड में 1970 का पूरा दशक मल्टीस्टारर फिल्मों का रहा. विनोद खन्ना ने यूं तो कई बड़े स्टार्स के साथ काम किया. लेकिन सबसे ज़्यादा सफल रही सुपरस्टार अमिताभ बच्चन के साथ उनकी जोड़ी. खून पसीना, हेरा फेरी, और मुकद्दर का सिकंदर जैसी ब्लॉकबस्टर फिल्मों ने उस दौर में हंगामा मचा दिया. मगर इनमें सबसे खास थी अमर, अकबर, एथनी.