मुम्बई : सतीश कौल ने तकरीबन 300 हिंदी और पंजाबी फिल्मों में काम किया. बेहद लोकप्रिय सीरियलों 'महाभारत', 'सर्कस' और 'विक्रम बेताल' में भी अलग अलग किरदारों में नजर आए. मगर आज 74 वर्षीय सतीश कौल की जिंदगी बीमारी और फकीरी में गुजर रही है. लुधियाना में एक छोटे से मकान में रहने के लिए मजबूर सतीश कौल को हर महीने किराये के 7500 रुपये देने और अपनी दवाइयों के लिए लगने वाले पैसों के लिए भी काफी जद्दोजहद करनी पड़ती है.


सतीश कौल को गिरने की वजह से हिप बोन फैक्चर (कूल्हे की हड्डी‌ में फ्रैक्चर) का शिकार होने के बाद उन्हें चंडीगढ़ के अस्पताल में भर्ती होना पड़ा. इस बीमारी की‌ मार से वो आज तक उभर नहीं पाये हैं. इतने साल बाद भी वे ठीक से चलने-फिरने की हालत में नहीं हैं. ढाई साल अस्पताल में रहने के बाद सतीश कौल डेढ़ साल तक वृद्धाश्रम में भी रहे.


तकरीबन 25 साल पहले माता-पिता के कैंसर के इलाज के लिए उन्होंने ढाई लाख रुपये में मुम्बई में वर्सोवा स्थित अपना फ्लैट बेच दिया था. बाकी बचे पैसों से छोटी बहन की शादी भी कराई. कुछ साल पहले लुधियाना में एक एक्टिंग स्कूल भी पार्टनरशिप में खोला, मगर उसमें भी 20 लाख रुपये से भी ज्यादा का नुकसान‌ उठाना पड़ा.



सतीश कौल ने एबीपी न्यूज़ से फोन पर बात करते हुए कहा, "ऐसा नहीं है कि अपना सब कुछ गंवा देने के बाद और बीमार होने के बाद से मुझे लोगों से मदद हासिल नहीं हुई. कुछ साल पहले मुझे सरकारी मदद के तौर पर 5 लाख रुपये भी मिले थे, मगर धीरे-धीरे‌ सारे पैसे इलाज और दवाइयों में खर्च हो गये."


सतीश कौल कहते हैं, "लॉकडाउन के चलते मेरी मुश्किलें कई गुना बढ़ गयीं हैं. मुझे घर के किराये, दवाइयों और राशन-पानी के लिए पैसों की सख्त जरूरत है. उम्मीद है कि लोग मेरी मदद के लिए आगे आएंगे."


उल्लेखनीय है कि शादी के एक साल बाद ही सतीश कौल का अपनी पत्नी से तलाक हो गया था. पत्नी ने दूसरी शादी कर ली और बेटे को लेकर डर्बन (दक्षिण अफ्रीका) चलीं गयीं. खुद को सतीश कौल का फैन बताने वाली सत्या देवी पिछले 6 सालों से उनका खयाल रखती आ रही हैं. 68 वर्षीय और चार बच्चों‌ की मां सत्या देवी और सतीश कौल के रिश्ते को लेकर भी लोगों ने उंगलियां उठाईं, लेकिन बुरे से बुरे वक्त में भी सत्या देवी ने उनका साथ दिया और आज भी वे सतीश कौल की हर जरूरत का खयाल रखती आ रही हैं. सत्या देवी ने एबीपी न्यूज़ से कहा, "मैं हर हाल में और हमेशा उनका साथ दूंगी."



(सतीष कौल के साथ सत्या रानी)

1969 में फिल्म ऐंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (FTII) में पढ़ाई के वक्त जया भादुड़ी, डैनी डेंगजोग्पा, आशा सचदेव, अनिल धवन जैसे कई कलाकार उनके बैचमेट थे. पढ़ाई पूरी करने के बाद में सतीश कौल को कई पंजाबी फिल्मों में बतौर हीरो काम करने का मौका मिला. हिंदी‌ फिल्मों में भी हाथ आजमाया, मगर उन्हें वो कामयाबी नहीं मिली, जिसकी उन्हें उम्मीद थी. हालांकि उन्होंने दिलीप कुमार, देव आनंद, विनोद खन्ना जैसे बॉलीवुड के तमाम एक्टर्स के साथ काम किया. लेकिन बॉलीवुड में उन्हें वो शोहरत हासिल नहीं हुई जो उन्हें पंजाबी फिल्मों में मिली.


सतीश कौल ने एबीपी न्यूज़ से कहा, "धीरे-धीरे कम हो रहे काम और पैसे के अभाव से मैं इस कदर परेशान हो चुका था मैं कि एक दिन मैं सीधे 'महाभारत' के निर्माता/निर्देशक बी. आर. चोपड़ा के दफ्तर में गया और एकदम‌ ऊंची आवाज में उनसे कहा 'एक पंजाबी होने के नाते अगर आप मुझे काम नहीं देंगे तो कौन देगा?' इसके बाद बी. आर. चोपड़ा ने फौरन मुझे देवराज इंद्र का रोल ऑफर करते हुए पेशगी के तौर पर 5,000 रुपये दिये और दो दिन बाद फिल्मसिटी में क्रांति मैदान में लगे सेट पर शूटिंग पर आने को कहा."


सतीश कौल कहते हैं, "अगर मुझे आज भी फिल्मों में काम‌ करने का मौका मिला, तो मैं जरूर करना चाहूंगा. एक्टिंग करने के मेरे अंदर की आग अभी भी जिंदा है."


यह भी पढ़ेंः
Common Service Centre पर कल से शुरू होगी रेल टिकटों की बुकिंग 

फ्लाइट में यात्रा करने वालों के लिए नए नियमः सिर्फ एक चेक-इन बैग ले जा सकेंगे, उड़ान में खाना नहीं मिलेगा