Sneha Desai On Background Artists: किरण राव के डायरेक्शन में बनी फिल्म 'लापता लेडीज' आज पर्दे पर उतर गई है. कॉमेडी, ड्रामा और सस्पेंस से भरपूर इस फिल्म को दर्शकों का भरपूर प्यार मिल रहा है. इस बीच एबीपी न्यूज से बातचीत में फिल्म की स्क्रीनप्ले राइटर स्नेहा देसाई ने पर्दे के पीछे काम करने वाले लोगों को क्रेडिट देने को लेकर अपनी राय दी. स्नेहा देसाई के मुताबिक पर्दे के पीछे काम करने वालों का ये शिकायत करना उन्हें गलत लगता है कि लोग उन्हें क्यों नहीं पहचानते.


स्नेहा देसाई ने कहा, 'मेरे हिसाब से अब फिल्म मेकिंग इतना कॉर्पोरेट स्ट्रक्चर हो चुका है कि उसमें अगर आपने काम किया है और आप कॉन्ट्रैक्ट से बंधे हुए हैं तो उसमें आपके पैसे, आपके क्रेडिट्स बहुत ज्यादा क्लियरली मेंशन होते हैं. ज्यादातर प्रॉड्यूसर्स आपके क्रेडिट के साथ इंटरफेयर नहीं करते है. इस मामले में मेरा बहुत ही हैप्पी एक्सपीरियंस रहा है.'






'ये शिकायत करना कि हमें...'
स्नेहा आगे कहती हैं, 'जहां तक पर्दे पर ना होने की बात है तो जाहिर सी बात है कि ऑडियंस सबसे ज्यादा कनेक्ट उन लोगों के साथ करती है जो उनको दिखते हैं. पर्दे के पीछे की जो भी प्रक्रिया होती है जो भी काम होता है उससे बहुत ज्यादा लोग वाकिफ नहीं होते तो ये शिकायत करना कि हमें नहीं पहचानते ये लोग वो मुझे थोड़ा गलत. गलत इसलिए लगता है क्योंकि ऑन द स्क्रीन और ऑफ द स्क्रीन में यही फर्क है.'


स्नेहा कहती हैं, 'हमें हमारे काम के जरिए, हमारी लाइंस के जरिए पहचाना जाता है. स्क्रीन पर दिखने वालों को उनके किरदारों के और उनकी एक्टिंग के जरिए पहचाना जाता है. तो मुझे लगता है ऑक्यूपेशनल हैजर्ड ज्यादा है, आप अगर बहुत अच्छे राइटर हैं, आपने बहुत कमाल की अगर स्क्रिप्ट लिखी है, आपकी फिल्मों ने अगर बहुत अच्छा काम किया है, और बिजनेस किया है तो आज नहीं तो कल आपका नाम और आपका काम ऑडियंस तक पहुंचता ही है.'


शेयर किया सेट से जुड़ा वाक्या
'लापता लेडीज' की शूटिंग कोरोना के सेकेंड और थर्ड वेव में की गई थी. ऐसे में स्नेहा ने शूटिंग के दौरान का एक किस्सा भी शेयर किया. स्नेहा बताती हैं, ''लापता लेडीज' की जब शूटिंग शुरू होने वाली थी तो एक ही दिन पहले हमें पता चला कि हमारे डीओपी जो है, डायरेक्टर ऑफ फोटोग्राफी, उनको कोविड हो गया है और हम सब बहुत ज्यादा टेंशन में थे कि अब क्या होगा.'


किरण राव की वजह से हो पाया शूट
स्नेहा कहती हैं, 'हमने इतनी मुश्किल से शूट शुरू किया. क्योंकि टीम को क्वारंटाइन में डालना पड़ेगा. वो बहुत ज्यादा अप्सेट हो जाने वाली फीलिंग होती है, पर किरण जी ने इतनी अच्छी तरह से वर्कशॉप्स किए थे, इतनी अच्छी तरह से वो सीन्स वगैरह रिहर्स करके रखे थे पहले से ही कि हम बिना मेन डीओपी के भी शूटिंग जारी रख पाए. उन्होंने गाइड किया और कहीं पर भी वो काम रुका नहीं तो उस टाइम पर तो सभी बहुत स्ट्रेस में थे. लेकिन हम सब आज जब पीछे मुड़कर देखते हैं तो हां यह वाक्या जरूर याद आता है कि कैसी मुश्किल में हमने शूटिंग की शुरुआत की थी.'


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