नई दिल्लीः हिंदी सिनेमा के जाने माने अभिनेता कादर खान नहीं रहे. 81 साल की उम्र में उन्होंने कनाडा के एक हॉस्पिटल में अंतिम सांस ली. पिछले करीब 16-17 दिनों से कादर खान कनाडा के अस्पताल में भर्ती थे. कादर खान के बेटे सरफराज़ खान ने एबीपी न्यूज़ से बात करते हुए उनके निधन की जानकारी दी. 31 दिसंबर को उनका निधन कनाडा के समय के अनुसार शाम 6 बजे के करीब हुआ. कादर खान को सांस लेने में तकलीफ का सामना करना पड़ रहा था जिसके बाद उन्हें हॉस्पिटल में भर्ती करवाया गया था. मशहूर अभिनेता कादर खान के कई ऐसे डायलॉग हैं, जिसके जरिए लोग उन्हें याद रखेंगे.

1. ''मौत से किस को रस्तगारी है! आज इनकी तो कल हमारी बारी है !! बेटे इस फकीर की एक बात याद रखना, ज़िंदगी का अगर सही लुत्फ उठाना है ना तो मौत से खेलो, सुख में हंसते हो तो दुख में कहकहे लगाओ, ज़िंदगी का अंदाज़ ही बदल जाएगा.''

2. ''बेटे ज़िंदा है वो लोग जो मौत से टकराते हैं और मुर्दो से बदतर हैं वो लोग जो मौत से घबराते हैं, सुख को ठोकर मार दुख को अपना, अरे सुख तो बेवफा है चंद दिनों के लिए आता है और चला जाता है. मगर दुख, दुख तो अपना साथी है अपने साथ रहता है, पोंछ ले आंसू, दुख को अपना ले, अरे तकदीर तेरे कदमों में होगी और तू मुकद्दर का बादशाह होगा.''

3. ''मेरी एक बात याद रखना बेटे, तुम्हारी उम्र मेरे तजुर्बे से बहुत कम है. तुमने उतनी दीवालियां नहीं देखी हैं जितनी मैंने तुम जैसे बिकने वालो की बर्बादियां देखी हैं. एक दिन आएगा जब तुम छाटी पीट-पीट कर अपनी बर्बादी का किस्सा सुनाना चाहोगे लेकिन वहां सुनने वाला कोई नहीं होगा और सिर्फ रोने वाले तुम होगे.''

4. ''अपने इस दादा की एक बात याद रखना, ऊपरवाले ने इस संसार में हर चीज़ की एक हद बांध रखी है. मां-बाप अपनी औलाद को सज़ा दे सकते हैं लेकिन उसकी एक हद है. उसे चांटा मार सकते हैं लेकिन उसका खून तो नहीं कर सकते ना. उसी तरह मां-बाप चाहे कितने ही खराब हो, कितने ही गुमराह हो, कितने ही बुरे हो मगर औलाद अपने मां-बाप को सज़ा नहीं दे सकती. ये मज़हब कहता है ये कुरान कहता है, ये गीता कहती है.''

5. ''अनाथ आश्रम सब नाम के होते हैं. असल में ये सब मुसीबत आश्रम होते हैं. अनाथ आश्रम में जो बच्चे पलते हैं वो भूख, प्यास गरीबी जुल्म मार सहते-सहते बड़े होते हैं और जब बाहर निकलते हैं तब तक मुजरिम बन चुके होते हैं. साहब! मैं तो कहता हूं कि एक रूपये में 12 आना लोग जो मुजरिम हैं सब अनाथ आश्रम के पले हुए हैं.''

यादें: कादर खान की कलम से निकले डायलॉग्स से ही अमिताभ बच्चन बने थे एंग्री यंग मैन

6. ''आओ सब आओ देखो ये है मेरी दौलत ये है मेरे मजदूर बाप का वह हथौड़ा जिससे वह पत्थर तोड़ा करता था और ये है वो फावड़ा जिससे चिलचिलाती धूम में नंगे पैर मिट्टी खोदता था. इस तसले में भर कर ले जाया करता था. ये है उसका एक जोड़ी कपड़ा जिसे उमर भर धो-धो कर पहनता था. आज तक इसमें से उसकी मेहनत की खुशबू आती है. ये है मेरा काला धन. जिसकी मैं पूजा करता हूं. जो मेरा दौलत है. अगर बांटना है तो बांट लो इसे. है हिम्मत... तुममे हिम्मत कहां से आएगी तुम्हे तो मुफ्त में खाने की आदत पड़ गई है. तुम्हे बाप की कमाई खाने की आदत पड़ गई है. आज तक तुमलोग मेरे नाम से जाने जाते थे. मैं चाहता था कि मैं तुमलोगों के नाम से पहचाना जाउं.''

रिएक्शन: कादर खान के निधन पर स्मृति ईरानी ने कहा, उनसे कभी मिल नहीं पाई, मिलती तो ज़रूर कहती ‘शुक्रिया’

7. ''तुम भी यार थूक में भजिया तलने आए हो. मेरी हालत देखो मुझसे बख्शिश मांगने चले आए हो. मुझे तकदीर ही नहीं बख्शा तो मैं तुम्हे कहां से बख्शिश दूं. गरीबी का यह हल है कि अगर मैं किसी फकीर को कंधा देता हूं तो वह अपनी इंसल्ट समझता है और अर्थी में से कूदकर भाग जाता है. रोटी खाए हुए इतना जमाना गुजर गया है कि रोटी की शक्ल तक याद नहीं रही. चावल कैसा होता है, चाय किस काम आती है हमें तो पता ही नहीं. मेरा छोटा बेटा अंदर कितने दिनों से भूखा पड़ा हुआ है. विधाता ने पैदा तो कर दिया है लेकिन हमारी तकदीर लिखना ही भूल गया.''

दुखद: नहीं रहे कॉमेडी के बादशाह कादर खान, 81 साल की उम्र में कनाडा के अस्पताल में ली आखिरी सांस