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बॉलीवुड में कई ऐसे सेलेब्स हैं जिन्होंने अपने करियर में कई उतार-चढ़ाव देखे हैं. उन्होंने शुरुआत में अपने करियर में एक से बढ़कर एक फिल्में दी हैं. मगर बाद में उनका करियर ऐसा डूबा की कोई उसे उठा नहीं पाया. ऐसे ही एक एक्टर हैं जुगल हंसराज, जिन्होंने बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट बहुत सारे प्रोजेक्ट्स में काम किया और अपनी पहचान बनाई मगर जब डेब्यू किया तो वो बात नहीं बनी जिसकी उम्मीद थी. उन्होंने अपने करियर में बहुत रिजेक्शन झेले हैं. जिसके बारे में उन्होंने खुलासा किया है.

जुगल ने पिंकविला को दिए इंटरव्यू में अपने करियर के बारे में बात की. उन्होंने शेखर कपूर की मासूम में चाइल्ड एक्टर के तौर पर अपने करियर की शुरुआत के बारे में बात की और अपने शुरुआती प्रोजेक्ट्स को याद किया. जुगल ने एडल्ट रोल्स में आने, बार-बार रिजेक्शन झेलने और हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में मुश्किल दौर से गुजरते हुए करियर के उतार-चढ़ाव का सामना करने के बारे में भी बात की.

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डेब्यू के बाद कम मिला काम

जुगल हंसराज ने बताया कि 1994 में फिल्म 'आ गले लग जा' से एडल्ट एक्टर के तौर पर डेब्यू करने के बाद काम की कमी कैसे हो गई थी. उन्होंने कहा- 'ये मेरे करियर में लगातार होता रहा है, क्योंकि कोई कमिटमेंट होता था, लेकिन बाद में फिल्म बंद हो जाती थी. उस समय के बड़े प्रोड्यूसर्स के साथ भी ऐसा हुआ.' एक्टर ने बताया कि ऐसा कुछ फिल्मों के साथ भी हुआ जिन्हें वह डायरेक्ट करने वाले थे. आगे कहा- 'जब मैं जवान था, तो इस वजह से मेरा दिल टूट गया था. लेकिन मैं गुस्सा नहीं हो सकता था क्योंकि कोई भी जानबूझकर ऐसा नहीं कर रहा था. हालात काबू से बाहर थे. फिर आप क्या कर सकते हैं? आप बस आगे बढ़ जाते हैं.'

मुश्किल दौर पर तोड़ी चुप्पी

जुगल ने आगे कहा- 'मेरा सपोर्ट सिस्टम बहुत मजबूत था. मेरे परिवार में मेरे माता-पिता और मेरा बड़ा भाई था. अब सिर्फ मेरा बड़ा भाई है, लेकिन वो अभी भी मेरा लगातार सपोर्ट करता है! मेरे कुछ दोस्त भी थे जो हमेशा मुझे हिम्मत देते थे. इसलिए अगर आपके पास एक अच्छा सपोर्ट सिस्टम है और थोड़ा समझदारी है, तो ठीक है, वरना यह आपको प्रभावित कर सकता है. बहुत ज़्यादा सफलता भी आपको प्रभावित कर सकती है और बहुत ज़्यादा यह भी आपको प्रभावित कर सकता है. इसलिए मुझे लगता है कि दोनों को जिंदगी का हिस्सा मानकर हल्के में लेना ही सबसे अच्छा है.'

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