Happy Birthday Javed Akhtar : हिंदी सिनेमा में जब भी लेखकों की बात होगी तो सलीम-जावेद की जोड़ी को सबसे कामयाब जोड़ियों में गिना जाएगा. दोनों ने एक साथ 'शोले' सहित तकरीबन 24 फिल्मों की कहानियों पर काम किया. इसी जोड़ी की वजह से सिनेमाई दुनिया में लेखकों को पहचान मिलनी भी शुरू हुई. लेकिन अब ये दोनों दिग्गज एक दूसरे से अलग हैं. सलीम खान और जावेद अख्तर के इतिहास को खंगालने का इससे अच्छा मौका कोई और नहीं हो सकता. गीतकार, पटकथा लेखक और शायर जावेद अख्तर आज 74 साल के हो गए हैं. उनके जन्मदिन पर आज उनकी ज़िंदगी के इस अहम पन्ने पर पड़ी धूल को हटाने की कोशिश करते हैं.


जानें जावेद अख्तर कौन हैं ?
जावेद अख्तर की पैदाईश 17 जनवरी 1945 को ग्वालियर में हुई थी. उनके पिता जां निसार अख्तर एक जाने माने शायर थे और उनकी मां सफिया अख्तर सिंगर. पैदाइश के वक्त जां निसार अख्तर ने जावेद का नाम ‘जादू’ रखा था. दरअसल जां निसार के पिता मुज़तर खैराबादी की एक नज़्म थी, जिसकी एक लाइन में  (लम्हा लम्हा किसी जादू का फसाना होगा) जादू लफ्ज़ आया था. ये लफ्ज़ जां निसार को खूब भाया, इसलिए उन्होंने अपने बेटे का नाम जादू ही रख दिया था. हालांकि जब 1 - डेढ़ साल की उम्र में स्कूल जाने की बात सामने आई तो इसे किसी के मशविरे पर बदल कर जावेद कर दिया गया था.


जावेद अख्तर ने दो बार शादी की. पहली शादी उन्होंने हनी ईरानी से की. फरहान अख्तर और ज़ोया अख्तर हनी और जावेद की ही औलाद हैं. लेकिन बाद में कैफी आज़मी के घर शायरी सीखते-सीखते जावेद उनकी बेटी शबाना आज़मी से मुहब्बत कर बैठे. शादीशुदा थे लिहाज़ा पत्नी को पता चला तो उन्होंने अलग होने को कह दिया. बाद में साल 1984 में जावेद और शबाना ने एक दूसरे से शादी कर ली.



जब सलीम-जावेद की जोड़ी बनी
सलीम खान और जावेद अख्तर ने साथ में तकरीबन 12 साल काम किया. हालांकि उनकी लिखी फिल्में बाद तक बनती रहीं, लेकिन दोनों की जोड़ी 1970 से 1982 के दरमियान ही साथ रही. इस छोटे से वक्त में ही सलीम-जावेद की जोड़ी ने 24 फिल्मों के डायलॉग और पटकथा लिखे, जिनमें से 20 सुपरहिट साबित हुईं. इन तमाम हिट्स में ‘शोले’ भी शामिल है, जिसे आज भी लोग याद करते हैं.


कहते हैं पहली दफा सलीम-जावेद की मुलाकात साल 1966 में फिल्म ‘सरहदी लुटेरा’ की शूटिंग के दौरान हुई थी. उस वक्त सलीम खान एक एक्टर थे और जावेद ‘क्लैपर बॉय’ यानि निर्देशक के असिस्टेंट. कुछ दिनों बाद जावेद ने डायलॉग राइटर का काम शुरू कर दिया था. धीरे धीरे सलीम-जावेद की मुलाकात होती गई और फिर साथ काम करने का मन भी बना लिया. सलीम खान के मुताबिक जावेद उनके पास आए थे और उनके साथ काम करने की ख्वाहिश ज़ाहिर की थी.



साल 1970 से 1982 के दौरान दोनों ने साथ काम किया. इस दौरान उन्होंने 'अंदाज़', 'अधिकार', 'हाथी मेरे साथी', 'सीता और गीता', 'ज़ंजीर', 'यादों की बारात', 'शोले', 'दीवार', 'ईमान धरम', 'डॉन', 'दोस्ताना', 'क्रांति', 'ज़माना' और 'मिस्टर इंडिया' जैसी सुपरहिट फिल्मों के स्क्रिप्ट, डायलॉग और स्क्रीन प्ले लिखे.


आखिर अलग कैसे हुए सलीम-जावेद?


अपने अलगाव पर सलीम और जावेद दोनों की कहानियां लगभग एक जैसी ही हैं, लेकिन कहानी को पेश करने का अंदाज़ थोड़ा अलग है. जावेद अख्तर ने एक इंटरव्यू में सलीम साहब से अलग होने का ज़िक्र आने पर बताया था, ''हम दोनों को एक दूसरे पर काफी यकीन था. हम दोनों एक दूसरे को समझते भी थे. लेकिन धीरे-धीरे दिमागी तौर पर हम एक दूसरे से दूर होते चले गए.'' उन्होंने कहा कि उनके बीच का रेपो अब वैसा नहीं रहा था जैसा कभी हुआ करता था. जावेद अख्तर के मुताबिक उनके और सलीम खान के बीच कभी कोई झगड़ा नहीं हुआ.


अलग होने की इसी कहानी को सलीम खान की ज़ुबानी भी जान लेते हैं. ईटीसी चैनल को दिए इंटरव्यू में सलीम खान कहते हैं, “हर डिब्बे पर एक्सपाइरी डेट होती है, शायद इसकी भी एक्सपाइरी डेट थी. उन्होंने मुझसे कहा कि वो मुझसे अलग होना चाहते हैं.”



इंटरव्यू में सलीम खान ने उस दिन को याद किया जिस दिन जावेद ने उनसे अलग होने की बात कही थी. उस दिन का ज़िक्र उन्होंने कुछ इस तरह किया, “एक दिन शाम को काम कर रहे थे. उन्होंने (जावेद ने) मुझसे कहा कि मैं अलग होना चाहता हूं. तो मुझे सच में लगा कि मैंने सही से सुना नहीं. उन्होंने बोला कि मैं अलग काम करना चाहता हूं. मैंने उनसे कहा कि ये बात आपने पांच मिनट पहले तो सोची नहीं होगी. तो कहने लगे कि कुछ अरसे से सोच रहा था. मैं उठा, हाथ मिलाया और अपनी गाड़ी की तरफ गया जो बाहर खड़ी थी. वो गाड़ी तक आने लगे. तब मैंने उनको पकड़ा और उनकी घर की तरफ को कर दिया और मैंने कहा, मैं अपनी देखभाल कर सकता हूं.”


हम ऐसी ज़ंजीर से बंधे हैं, जिसमें अलग होना बड़ा मुश्किल है


सालों बाद जब सलीम खान और जावेद अख्तर एक मंच पर साथ नज़र आए तो सभी हैरान रह गए. ये मौका था 'शोले 3D' के ट्रेलर लॉन्च का. इस दौरान एक सवाल के जवाब में जावेद अख्तर ने कहा था, “हम ऐसी ज़ंजीर से बंधे हैं, जिसमें अलग होना बड़ा मुश्किल है. हमारे पास करोड़ों वजह हैं एक साथ रहने की.” तभी किसी ने साथ काम करने को लेकर जब सवाल किया तो तपाक से जावेद अख्तर बोल पड़े थे, “इस दुनिया में कुछ भी नामुमकिन नहीं है.”


सलीम-जावेद जब साथ थे तो उन्होंने कई बड़े अवॉर्ड्स अपने नाम किए. फिल्मफेयर के 6 नॉमिनेशन्स में से उन्होंने 2 में अवॉर्ड हासिल किया था.


जावेद अख्तर के इस खास दिन पर हम भी यही उम्मीद करेंगे कि वो और सलीम खान एक दफा फिर साथ आएं और अपनी कलम से निकलती स्याही से कुछ ऐसा लिख दें, जो परदे पर अगले सौ सालों तक फिर से याद की जाती रहे. जन्मदिन मुबारक हो जावेद अख्तर!


सास, बहू और साजिश का फुल एपिसोड: 16-01-2019