Idea Of India Summit 2024: एबीपी नेटवर्क के वार्षिक शिखर सम्मेलन 'आइडिया ऑफ इंडिया' में मधुर भंडारकर, विपुल शाह और लीना यादव एक सेशन में साथ में आए थे. जहां इन तीनों ने बातचीत क्या फिल्में हमें डिवाइड कर रही हैं या एकजुट कर रही हैं? मधुर भंडारकर और विपुल शाह ने राम मंदिर को लेकर भी अपनी राय रखी. उन्होंने बताया कि कैसे सोशल मीडिया पर सेलेब्स अपनी राय रखते हैं और जिसकी वजह से उन्हें जज किया जाता है.


मधुर भंडारकर ने कहा-'मैंने चांदनी बार, ट्रैफिक सिग्नल जैसी फिल्में बनाईं. मैंने गरीबी को बहुत दिखाया. मेरी बहुत सैक्युलर पर्सनैलिटी है. हर धर्म के लोगों से मेरी दोस्ती है. अचानक 2014 में मैंने खुलकर पीएम पद के लिए मिस्टर नरेंद्र मोदी को सपोर्ट किया. अचानक मुझे रातोंरात साइडलाइन कर दिया. मुझे गालियां पड़ीं. मैं जब फिल्में बनाता था तो अच्छा लगता था. मैं हाजी अली, अजमेर शरीफ सब जगह जाता हूं. मैं प्राउड हिंदू हूं..लेकिन आपको लगा कि मैंने सपोर्ट कर दिया तो कम्युनल हो गया.' 


राम मंदिर जाने पर बोले मधुर भंडारकर
मधुर ने आगे कहा-'राम मंदिर में क्या कम्यूनल है. मैंने इफ्तार पार्टी अटेंड की तब तो किसी ने नहीं बोला. अगर आप राम मंदिर में जाते हो, आस्था है देश की तो आपको उस नजर से देखना ही नहीं चाहिए. जिनको बुलाया वो गए. मैं दुबई मंदिर को इनोगरेशन में गया था. अभी लोग सेलेक्टिव हो गए हैं. आपको देखना पड़ेगा कि किस तरह से इंडस्ट्री में सबके प्वाइंट ऑफ व्यू अलग है. जो उनको सूट नहीं करता है आप उन्हें भक्त बोल देंगे.'


मुझे किसी पॉलिटिकल पार्टी को सपोर्ट करने का हक क्यों नहीं
इस सेशन में विपुल शाह ने कहा-'अगर मैं अपने धर्म के लिए कहीं जाता हूं तो मैं कम्यूनल हूं. ये कितनी वाहियात थ्योरी है. ये एक चेंज है कि एक वातावरण बन गया था कि हिंदू कहना शर्म की बात थी. लेकिन अब ऐसा माहौल बन गया है कि हिंदू कहना कूल हो गया है. इसे एक दायरे में बांधने की कोशिश की जा रही है कि ये हाइपर हिंदूइज्म है. किसी और को हक है कि वो किसी पॉलिटिकल पार्टी को सपोर्ट करे तो मुझे क्यों नहीं है.'


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