Singer Murdered Brutally: बात जब 90 के दशक में बॉलीवुड के टॉप सिंगर्स की हो रही हो तो उदित नारायण, कुमार सानू और अलका याग्निक का नाम जुबान पर आता है. लेकिन उस दौर में एक सिंगर ऐसा था जिसने अर्श से फर्श तक का सफर किया. लंबा स्ट्रगल झेलकर सिंगिंग और म्यूजिक की दुनिया में बड़ा नाम बनाया. लेकिन फिर बेरहमी से मारा गया. 

हम बात कर रहे हैं गुलशन कुमार की, जिन्होंने बॉलीवुड फिल्मों से लेकर एल्बम तक में एक से बढ़कर एक हिट गाने दिए. 5 मई 1956 को दिल्ली में जन्मे गुलशन कुमार ने म्यूजिक की दुनिया में कदम रखने से पहले कई छोटे-मोट काम किए. बचपन में वे अपने पिता के साथ उनकी जूस की दूकान में बैठा करते थे. इसके बाद उन्होंने ऑडियो कैसेट और टेप रिकॉर्डर ठीक करने का काम धीरे-धीरे भी किया.

म्यूजिक रिकॉर्ड करके बनाए खुद के कैसेट्सऑडियो कैसेट और टेप रिकॉर्डर रिपेयर करते-करते गुलशन कुमार ने कैसेट और टेप रिकॉर्डर बेचना भी शुरू किया. इसी दौरान वे म्यूजिक रिकॉर्ड करके खुद के कैसेट्स बनाने लगे. गुलशन कुमार भजन और पूजा-पाठ में जाकर कैसेट रिकॉर्ड किया करते थ. उस समय एक कैसेट की कीमत करीब 30 रुपए हुआ करती थी. लेकिन गुलशन अपने कैसेट 10 रुपए में बेचते थे.

फिल्म आशिकी से छाए गुलशन कुमारदस रुपए के कैसेट्स बेचकर भी गुलशन कुमार का बिजनेस बहुत आगे बढ़ गया. इसके बाद उन्होंने दिल्ली में अपना खुद का स्टूडियो 'सुपर कैसेट्स इंडस्ट्रीज' बनवाया. इसके बाद उन्होंने बॉलीवुड में एंट्री लेने के बारे में सोचा और मुंबई चले गए. गुलशन कुमार ने 1993 में टी-सीरीज को स्थापित किया. टी-सीरीज की पहली फिल्म 'लाल दुपट्टा मलमल का' (1989) थी जिसके प्रोड्यूसर गुलशन कुमार ही थे. लेकिन टी-सीरीज फेमस तब हुई जब 'आशिकी' (1990) से मिली. रातोरात इस फिल्म के गानों के लाखों कैसेट्स बिक गए थे.

अंडरवर्ल्ड अबू सलेम ने ली जानकई मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक एक दौर में गुलशन कुमार का नाम हाईएस्ट पेड टेक्स पेयर में शुमार होने लगा था. ऐसे में वे अंडरवर्ल्ड अबू सलेम की नजर में आ गए जिसने उनसे 5 लाख रुपए मांग लिए. लेकिन गुलशन कुमार ने पैसे देने से साफ इनकार कर दिया और कहा कि वे इतने पैसों में वैष्णों देवी मंदिर में भंडारा करवा देंगे. गुलशन कुमार के इस जवाब से अबू सलेम को गुस्सा आ गया और उसने शूटर राजा के जरिए गुलशन को बेरहमी से कत्ल करवा दिया.

दिन-दहाड़े बेरहमी से मारे गए गुलशन कुमाररिपोर्ट्स की मानें तो गुलशन रोज मंदिर जाते थे. 12 अगस्त, 1997 को जब वे महादेव के मंदिर गए थे तो लौटते समय उनपर अंधाधुंध फायरिंग हो गई. उनके ड्राइवर ने उन्हें बचाने की कोशिश की लेकिन इस दौरान उसकी भी जान चली गई. वहीं जख्मी गुलशन कुमार ने अस्पताल जाते-जाते रास्ते में ही दम तोड़ दिया.

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