आदित्य धर की फिल्म 'धुरंधर' की रिलीज के बाद से अक्षय खन्ना इंटरनेट सेंसेशन बन गए हैं. जहां एक तरफ उनकी पॉपुलैरिटी पीक पर पहुंच गई है वहीं दूसरी तरफ उनकी पर्सनल लाइफ को जानने को लेकर भी लोगों में एक्साइटमेंट बढ़ गई है. वैसे अक्षय खन्ना चकाचौंध से दूर पहना पसंद करते हैं. वहीं उनके पिता विनोद खन्ना ने स्टारडम को खूब एंजॉय किया. और जब वे इसके पीक पर थे, तब उन्होंने इसे त्याग दिया और आध्यात्मिकता की ओर रुख कर लिया था. उन्होंने अपनी पत्नी और दो बेटों  अक्षय और राहुल खन्ना को छोड़कर ओशो के आश्रम में शरण ली थी. चलिए यहा जानते हैं अक्षय की मां और विनोद खन्ना की एक्स वाइफ गीतांजलि कौन थीं और दिवंगत दिग्गज अभिनेता का पत्नी से तलाक क्यों हुआ था?

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कौन थीं अक्षय खन्ना की मां गीतांजलि? बता दें कि विनोद खन्ना की पहली पत्नी, गीतांजलि तलेयारखान, एक फेमस पारसी परिवार से थीं और एक मॉडल थीं. उनके परिवार में वकील और बिजनेसमैन भरे हुए  और वह अपने परिवार से ग्लैमर की दुनिया में कदम रखने वाली पहली सदस्य बनी थीं. गीतांजलि, ए.एफ.एस. तलेयारखान की बेटी थीं, जिन्हें 1950 के दशक में भारत के शुरुआती कमेंटेटर्स में से एक माना जाता था.

कैसे हुई विनोद खन्ना और गीतांजलि की पहली मुलाकात?  विनोद खन्ना की गीतांजलि से पहली मुलाकात कॉलेज के दिनों में हुई थी और विनोद पहली ही नज़र में उनकी ओर अट्रैक्ट हो गए थे. दोनों ने उस समय डेटिंग शुरू की जब विनोद ने फिल्म इंडस्ट्री में अपनी पहचान नहीं बनाई थी.बॉलीवुड शादी डॉट कॉम के मुताबिक इसके कुछ ही समय बाद, अभिनेता-निर्माता सुनील दत्त का ध्यान उन पर गया, जिन्होंने उन्हें उनकी पहली फिल्म 'मन का मीत'  ऑफर की थी, जिससे उनके अभिनय करियर की शुरुआत हुई.  

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1971 में विनोद खन्ना ने की थी गीतांजलि संग शादीविनोद की पॉपुलैरिटी और सफलता बढ़ने के साथ ही, उन्होंने शादी करने का फैसला किया. फिर 1971 में, उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री की कई जानी-मानी हस्तियों की मौजूदगी में अपनी लेडी लव गीतांजलि से ग्रैंड वेडिंग की थी. एक साल बाद, कपल ने अपने पहले बेटे राहुल खन्ना का वेलकम किया, और फिर 1975 में अक्षय खन्ना का. अपनी प्रोफेशनल और पर्सनल लाइफ दोनों में से विनोद परिवार को प्रायोरिटी थे, यहां तक कि उन्होंने रविवार को काम न करने का नियम भी बना रखा था.

विनोद खन्ना ने 1982 में संन्यास ले लिया थाफेम, सक्सेस और हैप्पी फैमिली लाइफ को एंजॉय करने के बावजूद, विनोद खन्ना को आध्यात्मिक की ओर जाने का मन करने लगा. अपने करियर के पीक पर, उन्होंने सांसारिक जीवन का त्याग करने का निर्णय लिया और 1982 में संन्यास ले लिया, बॉलीवुड छोड़कर ओशो के आश्रम में शामिल हो गए. इस फैसले ने उनकी पर्सनल लाइफ को पूरी तरह से बदल दिया था.

क्यों हुआ था विनोद खन्ना का पहली पत्नी गीतांजलि से तलाकशुरुआत में अमेरिका में रहते हुए विनोद फोन के जरिए गीतांजलि और अपने बच्चों के कॉन्टेक्ट में रहे. हालांकि, दूरी उनके लिए मुश्किल साबित हुई, खासकर जब उनके दोनों बेटे बड़े हो रहे थे. गीतांजलि को एक अकेले पेरेंट के रूप में जीवन गुजारने में काफी संघर्ष करना पड़ा और उन्होंने बताया कि कैसे बच्चों से अक्सर उनके पिता की अनुपस्थिति के बारे में सवाल किए जाते थे. तीन साल तक अकेले ही सब कुछ संभालने की कोशिश करने और विनोद को घर लौटने के लिए मनाने के बाद, गीतांजलि ने आखिरकार उन्हें एक अल्टीमेटम दिया कि उन्हें अपने परिवार और अपने आध्यात्मिक मार्ग में से किसी एक को चुनना होगा. जब विनोद ने कोई जवाब नहीं दिया, तो उन्होंने तलाक के लिए अर्जी दी और 1985 में दोनों कानूनी रूप से अलग हो गए थे.

हालांकि विनोद 1987 में भारत लौट आए, लेकिन आश्रम में लंबे समय तक रहने के कारण उनकी पहली शादी टूट चुका था. कुछ समय पहले, एक इंटरव्यू में अक्षय ने बताया था कि उनके पिता के ओशो के आश्रम जाने का उन पर क्या प्रभाव पड़ा था. उस समय को याद करते हुए अक्षय ने मिड-डे से कहा था, “न सिर्फ अपने परिवार को छोड़ना, बल्कि संन्यास लेना. संन्यास का अर्थ है अपने जीवन को पूरी तरह से त्याग देना, परिवार तो उसका सिर्फ एक हिस्सा है. यह जीवन बदलने वाला फैसला था, जो उन्हें उस समय लेना जरूरी लगा. पांच साल के बच्चे के रूप में मेरे लिए इसे समझना नामुमकिन था. अब मैं इसे समझ सकता हूं.”

विनोद खन्ना ने कविता दफ्तरी से की थी दूसरी शादीभारत लौटने पर विनोद ने ओशो की सलाह पर अपने अभिनय करियर को फिर से शुरू किया था. फिल्म जगत ने उनका स्वागत किया और 43 वर्ष की उम्र में उन्हें फिर से प्याप हुआ. फिर उन्होंने 1990 में कविता दफ्तरी से शादी की थी. इस दंपति के दो बच्चे हुए, एक बेटा और एक बेटी. हालांकि, गीतांजलि तलेयारखान ने कभी दूसरी शादी नहीं की थी. उन्होंने अपना जीवन सार्वजनिक चकाचौंध से दूर, राहुल और अक्षय की परवरिश में डेडीकेट कर दिया था. विनोद खन्ना के 2017 में निधन के एक वर्ष बाद, 2018 में 70 वर्ष की उम्र में गीतांजलि का भी देहांत हो गया था.