दीपिका पादुकोण ने शाहरुख खान स्टारर ‘ओम शांति ओम’ से बॉलीवुड में डेब्यू किया था. ये फिल्म ब्लॉकबस्टर रही थी और दीपिका भी रातों-रात स्टार बन गई थीं. हालांकि, इससे पहले, उन्होंने साउथ सिनेमा में अपने टैलेंट का लोहा मनवाया था और मॉडलिंग भी की थी. इसलिए, फराह खान की फिल्म के लिए हां कहने से पहले उन्हें बॉलीवुड में डेब्यू करने के कई मौके मिले थे लेकिन उन्होंने सभी ऑफर्स ठुकरा दिए थे. वहीं हाल ही में, उन्होंने एक इंटरव्यू में खुलासा किया कि आखिर उन्होंने ‘ओम शांति ओम’ से पहले बॉलीवुड फिल्मों के ऑफर क्यों ठुकराए थे.
‘आज भी मॉडल के रूप में याद करते हैं लोग’दरअसल हार्पर बाज़ार से बातचीत में दीपिका पादुकोण ने कहा, “सच कहूं तो, यह सब इतनी जल्दी हुआ कि कभी-कभी कुछ धुंधला सा लगता है. टेक्निकली मैंने केवल दो साल मॉडलिंग की, और तब तक फिल्म इंडस्ट्री ने अपनी पहुंच बना ली थी. लेकिन उन दो सालों में, मैंने इतना कुछ किया, रनवे, प्रिंट, टेलीविज़न एड्स, कि लोग आज भी मुझे एक मॉडल के रूप में याद करते हैं.
मुझे पता भी नहीं चला कि मैं एक फिल्म के सेट पर थी, और मुझे इसे समझने का भी समय नहीं मिला. जब मैं पीछे मुड़कर देखती हूं, तो मुझे लगता है कि यह सब सही समय पर हुआ. और अगर मैं ऐसा कहूं, तो मैंने इसे बहुत अच्छी तरह से संभाला."
‘ओम शांति ओम’ से पहले क्यों ठुकराए थे बॉलीवुड डेब्यू के ऑफरदीपिका ने कहा, ‘यह सब बहुत तेज़ी से हुआ. मॉडलिंग के उन दो सालों में भी, कई मेकर्स और निर्देशक मुझे फ़िल्मों में काम दिलाने के लिए कोशिश कर रहे थे. लेकिन मैं इसके लिए तैयार नहीं थी. मैंने ग्लैमर और शो बिज़नेस की दुनिया में अभी-अभी कदम रखा था, और मुझे लगा कि बदलाव से पहले मुझे थोड़ा जमना होगा. इसलिए फ़िल्में तुरंत मिल सकती थीं, लेकिन मैं कह रही थी कि मैं तैयार नहीं हूं. मैं आज भी उन मौकों के लिए आभारी हूं. मुझे लगा कि "ओम शांति ओम" का समय सही था."
अपने करियर में एक पर्सन के रूप में अपनी ग्रोथ को लेकर एक्ट्रेस ने कहा, "उस समय, मैं लगभग बेखबर थी, मुझे पता था कि मैं यहीं पहुंचूंगी और क्या करूंगी, लेकिन मुझे नहीं पता था कि मैं वहां कैसे पहुंचूंगी. चाहे पहली बार रैंप पर चलना हो या किसी फ़िल्म के सेट पर, मैं सीख रही थी. अब भी मैं सीख रही हूं. लेकिन यह एक अलग तरह का सीखना है. उस समय, ये बेसिक, इंडस्ट्री,आर्ट और मीडियम को समझने के बारे में था."
पहले से कहीं ज्यादा कॉन्फिडेंट हूंदीपिका आगे कहती हैं, "अब बात यह है कि कैसे बेहतर हुआ जाए, कैसे चीज़ों को अलग तरीके से किया जाए. सीखना कभी रुकता नहीं, यह बस इवोल्व होता रहता है. मुझे लगता है कि आज मैं पहले से कहीं ज़्यादा कॉन्फिडेंट हूं. उस उम्र में, बहुत सारा सेल्फ डाउट होता है, बहुत सारे सवाल होते हैं कि क्या आप सही कर रहे हैं, लोग क्या सोचेंगे. अब बात यह सुनिश्चित करने की है कि मैं कौन हूं और क्या करना चाहती हूं."