अभिषेक बच्चन, यामी गौतम और निमरत कौर की फिल्म दसवीं Netflix पर रिलीज हुई है. ये फिल्म अभिषेक के करियर की बेहतरीन फिल्मों में से एक कही जा सकती है. फिल्म का ट्रेलर आने के बाद फिल्म से उम्मीदें काफी बढ़ गई थी और ये फिल्म उन उम्मीदों की पूरा करती है. आपको ये फिल्म सिर्फ एंटरटेनमेंट के लिए ही नहीं बल्कि एक और खास वजह से भी देखनी चाहिए


कहानी- ये फिल्म कहानी है अभिषेक बच्चन यानि गंगाराम चौधरी की जो हरित प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं और दसवीं फेल हैं. गंगाराम चौधरी को भ्रष्टाचार के आरोप में जेल जाना पड़ता है और वहां मुलाकात होगी है सख्त जेलर यामी गौतम यानि ज्योति देसवाल से. जेल जाने के बाद गंगाराम चौधरी अपनी कम पढ़ी लिखी पत्नी बिमला देवी यानि निमरत कौर को मुख्यमंत्री बना देता है. जेल में यामी गौतम और अभिषेक के बीच तकरार होती है और ज्योति गंगाराम को कम पढ़ा लिखा होने को लेकर बेइज्जत करती है. इसके बाद गंगाराम चौधरी फैसला लेता है कि वो जेल से दसवीं पास करेगा, इस बीच गंगाराम की पत्नी बिमला देवी सत्ता के लालच में आ जाती है . क्या गंगाराम दसवीं कर पाएगा. क्या वो फिर से मुख्यमंत्री बन पाएगा. इसके लिए आपको ये फिल्म देखनी होगी.


एक्टिंग- अभिषेक बच्चन ने फिल्म में गंगाराम चौधरी के किरदार में कमाल कर दिया है.अभिषेक की डायलॉग डिलीवरी गजब की है. और उनमें एक नई एनर्जी दिखती है. ये अभिषेक के करियर का बेस्ट परफॉर्मेसं कहा जा सकता है हालांकि कुछ लोग गुरु को अब भी इससे आगे रखेंगे. सख्त जेलर के किरदार में यामी गौतम लाजवाब हैं. अभिषेक और यामी के तकरार वाले सीन कमाल के लगते हैं. निमरत कौर ने फिल्म में कमाल का काम किया है. निमरत की हरियाणवी जबरदस्त है और जब भी वो डायलॉग बोलती हैं आपको हंसी आ जाती है


डायलॉग- फिल्म के डायलॉग डॉक्टर कुमार विश्वास ने लिखे हैं और ये डायलॉग फिल्म की जान हैं. हर थोड़ी देर बाद आपको एक कमाल का वन लाइनर सुनने को मिलता है और जिसे सुनकर बहुत मजा आता है. भाषा ऐसी रखी गई है कि हर किसी को समझ आ सके. क्योंकि ये एक हिंदी फिल्म है इसलिए हरियाणवी बोलचाल वाली है और आप आराम से भाषा को समझ भी पाते हैं और फिल्म का मजा भी ले पाते हैं

संगीत- फिल्म का म्यूजिक कमाल का है. फिल्म के पेस के साथ म्यूजिक काफी अच्छा लगता है और गानों को भी हरियाणवी फील दिया गया है


कमी- फिल्म बीच में हल्की सी स्लो होती है और आपको लगता है कि ये सीन हट भी सकते थे लेकिन ये हमें आजकल हर दूसरी फिल्म के साथ लगता है क्योंकि सबके पास टाइम की कमी है. वैसे ये फिल्म सिर्फ 2 घंटे की है


मैसेज- इस फिल्म की खास बात ये है कि ये सिर्फ एंटरटेन नहीं करती बल्कि एक खास संदेश भी देती है. राइट टू एजेकशन का संदेश और ये संदेश देने के लिए फिल्म में कोई भाषण नहीं दिया जाता बल्कि बड़े एंटरटेनिंग और खूबसूरत तरीक से ये संदेश दिया जाता है और जब आप ये फिल्म खत्म करते हैं तो चेहरे पर एक मुस्कान आ जाती है.

रेटिंग :  4 स्टार