Rahman Unknown Facts: मायानगरी मुंबई की चकाचौंध हर किसी को अपनी तरफ खींचती है. कुछ ऐसा ही हाल दिग्गज अभिनेता रहमान का भी रहा. अपनी मासूमियत और जादुई आवाज से हर किसी को अपना मुरीद बनाने वाले रहमान ने भी अभिनय की दुनिया में अपना करियर बनाने के लिए इंडियन एयरफोर्स की नौकरी छोड़ दी थी. उन्होंने प्यार की जीत, बड़ी बहन, परदेस, प्यासा समेत तमाम बेहतरीन फिल्मों में 1940 से 1970 के दशक तक काम किया.


पाकिस्तान में जन्मे थे रहमान


23 जून 1921 के दिन लाहौर में रहने वाली रॉयल पश्तून फैमिली के घर जन्मे रहमान देश के बंटवारे से जूझने वालों में से एक रहे. रहमान ने पढ़ाई-लिखाई के मामले में कोई कमी नहीं छोड़ी. जब देश का बंटवारा हुआ तो रहमान पाकिस्तान छोड़कर भारत आ गए, जबकि उनका परिवार वहीं रह गया. रहमान ने जबलपुर के रॉबर्टसन कॉलेज से पढ़ाई की और ट्रेनिंग के बाद इंडियन एयरफोर्स में शामिल हो गए. वह एयरफोर्स में बतौर पायलट जॉब करते थे. 


एक्टिंग के लिए छोड़ दी एयरफोर्स


पढ़ाई-लिखाई के बाद रहमान ने भले ही एयरफोर्स जॉइन कर ली थी, लेकिन वहां उनका मन नहीं लग रहा था. कहा जाता है कि अपनी कद-काठी और बुलंद आवाज की वजह से उनके मन में एक्टर बनने का ख्वाब पल रहा था. फिर एक ऐसा दिन आया, जब उन्होंने एयरफोर्स की नौकरी छोड़ दी और मुंबई (उस वक्त बॉम्बे) का रुख कर लिया. मायानगरी पहुंचने के बाद उन्होंने डायरेक्टर और राइटर विश्राम बेडेकर के साथ बतौर थर्ड असिस्टेंट डायरेक्टर काम किया. 


पगड़ी ने दिला दी पहली फिल्म


रहमान एक्टर बनने का ख्वाब लेकर मुंबई आ चुके थे, लेकिन बतौर असिस्टेंट डायरेक्टर काम कर रहे थे. ऐसे में उन्हें पहली फिल्म मिलने का किस्सा भी बेहद दिलचस्प है. दरअसल विश्राम बेडेकर को अपनी फिल्म के लिए पश्तूनी पगड़ी बांधने वाले की तलाश थी. रहमान पश्तून थे और उन्हें पश्तूनी पगड़ी बांधना भी आता था. बस बेहतरीन लुक्स और बुलंद आवाज के दम पर रहमान को उनकी पहली फिल्म मिल गई. 


इन फिल्मों में दिखाया अपना जलवा


बता दें कि रहमान ने गुरुदत्त के साथ मिलकर कई बेहतरीन फिल्में बनाईं. इनमें प्यार की जीत, बड़ी बहन, परदेस, चौदहवीं का चांद, साहिब बीबी और गुलाम आदि फिल्में शामिल हैं. गौर करने वाली बात यह है कि शूटिंग के दौरान रहमान को सुरैया से प्यार हो गया था और वह उनसे शादी भी करना चाहते थे. हालांकि, रहमान को निराशा का सामना करना पड़ा, क्योंकि सुरैया अपना दिल पहले ही देव आनंद को दे चुकी थीं. 


आखिरी वक्त से पहले छिनी यह जादुई चीज


गौरतलब है कि रहमान की पहचान उनकी आवाज बनी. 1977 तक उन्हें तीन हार्ट अटैक आ चुके थे. इसके बाद कैंसर ने उनके हौसले को तोड़ दिया. दरअसल, रहमान को शराब पीने की आदत थी. इसकी वजह से उन्हें गले का कैंसर हो गया और उनकी जादुई आवाज चली गई. आलम यह रहा कि आखिरी वक्त में उनकी जुबां से एक भी शब्द नहीं निकल रहा था और 1984 में उनका निधन हो गया. 


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