मुंबई: फिल्म निर्माता अनुराग कश्यप ने कहा है कि बॉलीवुड के बहुत लोग वर्किंग प्लेस पर कास्टिंग काउच पर चुप रहे क्योंकि उन्हें मालूम था कि उनकी बातों से तब तक कोई फर्क नहीं पड़ेगा जब तक खुद पीड़ित सामने ना आएं. वहीं पिछले साल 'मीटू अभियान' ने हालीवुड में एक आंदोलन छेड़ दिया था जिसमें कई क्षेत्रों के लोगों के साथ एक्टर्स और एक्ट्रेसेस ने भी कास्टिंग काउच की अपनी दास्तां सुनाई थी. पिछले साल अक्टूबर में मीडिया के बेताज बादशाह हार्वे वाइंस्टीन के खिलाफ आरोपों की झड़ी लग गई. उनपर रेप सहित कास्टिंग काउच के कई आरोप लगे.


इसके अलावा बॉलीवुड में व्याप्त कास्टिंग काउच के बारे में कुछ ही लोगों ने मुंह खोला. हिंदी सिनेमा ने चुप रहना पसंद किया और इसके लिए उन्हें फैन्स की आलोचना भी सुननी पड़ी. फिल्म इंडस्ट्री का बचाव करते हुए कश्यप ने कहा कि व्याप्त कास्टिंग काउच की घटनाओं पर कलाकारों की बातों का तब तक कोई मतलब नहीं है जब तक इसे झेलने वाले अपना मुंह बंद रखते हैं.

मैं भी कास्टिंग काउच से गुजरा..
इस बात पर उन्होंने कहा, "जब मैं 19 साल का था तब मैंने कास्टिंग काउच के बारे में बोला था क्योंकि मैं इससे गुजरा था. जब मुझे बोलना था, मैंने बहुत साल पहले बोला. मैं आमिर खान के शो में भी गया था और इसके बारे में बोला." कश्यप ने कहा, "तो, ऐसा नहीं है कि मैंने इसके बारे में नहीं कहा है. मैंने इसके बारे में कहा है. आज मैंने कहना बंद कर दिया है क्योंकि कोई वास्तव में इस आंदोलन की परवाह नहीं करता, हर किसी को सिर्फ सुर्खियों की पड़ी है."

निर्देशक अनुराग कश्यप ने कहा, "कहीं भी इस तरह के अभियान तभी कामयाब होंगे जब पीड़ित बोले. तब लोग पीड़ित के पक्ष में खड़े हो सकते हैं." उन्होंने आगे कहा कि अगर पीड़ित नहीं बोलता हैं तो कोई अन्य नहीं बोल सकता क्योंकि उन्हें अफवाह फैलाने की कोशिश करने वाले असंतुष्ट लोगों के रूप में ब्रांड किया जाएगा.