क्लासिक कल्ट फिल्म 'शोले' सिनेमाघरों में शुक्रवार को री-रिलीज हो गई है। यह एक ऐसी ऐतिहासिक फिल्म रही, जिसके हर किरदार का अपना वजूद रहा.   फिल्म के हर किरदार को दर्शकों ने खूब सराहा. फिल्म में 'गब्बर' बने अभिनेता अमजद खान ने इस किरदार को अमर कर दिया. उन्होंने इस रोल के लिए बहुत मेहनत की थी. 

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'गब्बर' के लिए पहली पसंद नहीं थे अमजद खान पर्दे पर विलेन बनकर डराने वाले 'गब्बर' असल जिंदगी में बेहद शांत और सुलझे हुए इंसान थे. अमजद फिल्म में 'गब्बर' के रोल के लिए पहली पसंद नहीं थे. अमजद खान से पहले 'गब्बर' के रोल के लिए रमेश सिप्पी ने डैनी डेन्जोंग्पा को चुना था, लेकिन वह पहले ही फिल्म 'धर्मात्मा' के लिए 'हां' कर चुके थे और उस वक्त सकारात्मक रोल निभाना चाहते थे. उन्होंने फिल्म के रिलीज के समय भी कहा था कि उन्हें 'शोले' ठुकराने का कोई अफसोस नहीं है. इसके बाद मेकर्स ने प्रेमनाथ को 'गब्बर' के रोल के लिए साइन करने की सोची, लेकिन प्रेमनाथ को लेकर शूटिंग के दौरान फैली बातों की वजह से मेकर्स नए गब्बर की तलाश में निकल पड़े.

इस तरह अमजद खान को मिला 'गब्बर' का रोल अमजद खान और रमेश सिप्पी की पहली मुलाकात थिएटर में हुई थी. रमेश सिप्पी अपनी बहन के कहने पर अमजद खान का शो देखने पहुंचे थे. मंच पर अमजद खान की कद-काठी और चेहरे के हाव-भाव देखकर उन्हें 'गब्बर' के रोल के लिए चुना. अमजद खान के लिए ऐसी बड़ी फिल्म मिलना खुशी के साथ-साथ चुनौती भी थी. उन्होंने 'गब्बर' के किरदार को समझने के लिए बहुत तैयारी की. 'गब्बर' के किरदार को जीवंत करने के लिए अमजद खान ने पिता से सलाह ली. उन्होंने अपने पिता जयंत से किरदार के बारे में बात की और उन्होंने डाकुओं पर आधारित किताबें पढ़ने की सलाह दी.

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अपने रोल के लिए बेले खूब पापड़ अमजद ने तरुण कुमार भादुड़ी की किताब 'अभिशप्त चंबल' पढ़ी और डाकुओं के पहनावे से लेकर उनकी चाल-ढाल को समझा और डायलॉग डिलीवरी को परफेक्ट बनाने के लिए धोबी की आवाज का सहारा लिया, जो उनके घर पर आया करता था. उन्होंने 'अरे ओ सांभा' का लहजा धोबी की आवाज से प्रेरित होकर ही लिया था. वे अपने लुक को बेहतरीन बनाने के लिए दांतों को काला करते थे, जिससे उनके किरदार का लुक अच्छे से निखर कर आ सके.