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सदी के महानायक अमिताभ बच्चन का 5 दशक से पर्दे पर जलवा बरकरार है. दुनियाभर में उनकी फैन फॉलोइंग है. अमिताभ बच्चन फिल्मी दुनिया में 70 के दशक से सक्रिय हैं. उन्होंने हर उम्र के लोगों में अपने अभिनय की छाप छोड़ी है.

एक वक्त ऐसा भी आया जब बॉलीवुड स्टार अमिताभ बच्चन राजनीति में उतर आए. वो दौर 1984 का था. राजीव गांधी के बेहद करीबी रहे अमिताभ को चुनाव लड़ने के लिए राजीव गांधी ने ही तैयार किया था.

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हेमवती नंदन बहुगुणा के खिलाफ लड़ा था चुनाव

आखिरकार 1984 के लोकसभा चुनाव में अमिताभ बच्चन राजनीति के अखाड़े में उतरे. वह चुनाव कांग्रेस के टिकट पर इलाहाबाद से लड़े. बच्चन का मुकाबला कांग्रेस के पुराने मंझे हुए नेता हेमवती नंदन बहुगुणा से था. 1984 के लोकसभा में कांग्रेस ने अमिताभ को टिकट दे दिया और हेमवती बहुगुणा लोक दल से मैदान में थे.

हेमवती नंदन बहुगुणा के मुकाबले में जब अमिताभ बच्चन को कांग्रेस ने उतारा तो यह चुनाव बेहद दिलचस्प हो गया था. हालांकि अमिताभ तब तक सुपरस्टार बन चुके थे लेकिन बहुगुणा की तुलना में राजनीति के नए खिलाड़ी थे. इसलिए उस वक्त यह कहना बेहद मुश्किल था कि किसकी जीत होगी?

आखिर चुनाव के नतीजे आए और सुपरस्टार अमिताभ बच्चन ने राजनीति के दिग्गज नेता को एक लाख 87 हजार रिकॉर्ड वोटों के अंतर से हराकर ऐतिहासिक वोटों से अपनी जीत दर्ज की.

फैंस की दीवानगी ने दिलाई ऐतिहासिक जीत

अमिताभ की फैन फॉलोइंग ने चुनाव में ऐतिहासिक जीत तो दिलाई ही साथ ही मतगणना में एक दिलचस्प वाकया हुआ जो अमिताभ बच्चन की ख्याति और उनके अभिनय की लोगों में दीवनगी बयां कर रही थी.

दरअसल मतगणना के दौरान अमिताभ बच्चन के करीब चार हजार वोट रद्द हो गए. इन वोटों पर लिपस्टिक से किस के निशान ( Kiss Mark) बने हुए थे. दरअसल ये सुपरस्टार के फैन्स महिलाओं और लड़कियों के वोट थे जिन्होंने मतपत्र पर मुहर की जगह किस मार्क लगाकर वोट डाला था.

हालांकि ये अलग बात है कि अमिताभ बच्चन ने ऐतिहासिक वोट से जीतने के बाद भी संसद का कार्यकाल पूरा नहीं किया और 1988 में सांसदी छोड़ दी थी. उन्होंने न सिर्फ सांसदी छोड़ी बल्कि राजनीति से हमेशा-हमेशा के लिए तौबा कर गए. वह इसे अपनी सबसे बड़ी भूल बताते हैं.

लेकिन उनके नाम पर पड़े वो किस वोट आज भी उस दौर के लोगों की जुबान पर है.