बॉलीवुड महानायक अमिताभ बच्चन बीते 5 दशकों से फिल्म इंडस्ट्री में अपना दबदबा बनाए हुआ हैं. साल 1969 में फिल्म 'सात हिंदोस्तानी' से अपने करियर की शुरुआत की. हालांकि ऐसा नहीं है कि अमिताभ बच्चन ने अपनी पहली ही फिल्म से कोई ऐसा कमाल कर दिया हो..अपने शुरुआती दौर में उन्हें एक या दो नहीं बल्कि 12 फ्लॉप फिल्मों का सामना करना पड़ा था. लेकिन इसके बाद जब अमिताभ की हिट फिल्मों का सिलसिला शुरू हुआ तो उन्होंने एक अलग ही रिकॉर्ड बना दिया.
अमिताभ बच्चन के बाद इस इंडस्ट्री में कई सुपरस्टार आए और गए. बॉक्स ऑफिस पर एक के बाद के न जाने कितने ही रिकॉर्ड बने और टूटे लेकिन अमिताभ बच्चन की फिल्मों ने जो रिकॉर्ड बनाए वो कोई भी स्टार नहीं तोड़ पाया.
शुरुआती करियर में कई फ्लॉप फिल्में देने के बाद 1973 में ‘जंजीर’ फिल्म की सफलता ने अमिताभ बच्चन की ही नहीं हिंदी सिनेमा की भी तस्वीर बदल दी. उसके बाद तो करीब अगले 4 सालों में ही 1977 तक अमिताभ बच्चन ने ‘अभिमान’, ‘नमक हराम’, ‘कसौटी’, ‘मजबूर’, ‘दीवार’, ‘शोले’, ‘चुपके-चुपके’, ‘मिली’, ‘कभी-कभी’, ‘दो अनजाने’, ‘हेरा-फेरी’, ‘अदालत’, ‘खून पसीना’, ‘परवरिश’ और ‘अमर अकबर एंथनी’ जैसी 15 शानदार फ़िल्में देकर सफलता और लोकप्रियता का नया इतिहास लिख दिया.
इसके बाद 1978 में एक वह दौर आया जब अमिताभ बच्चन ने एक महीने में ही लगातार चार सुपरहिट फिल्में दीं. अमिताभ ने इस वक्त एक ऐसा रिकॉर्ड बनाया जो अभी तक कोई भी दूसरा हीरो नहीं बना पाया है. ये 4 हफ्ते थे 21 अप्रैल से 12 मई 1978 तक के. इस दौरान मुंबई में पहले 21 अप्रैल को अमिताभ बच्चन की ‘कसमे वादे’ रिलीज हुई. उसके अगले हफ्ते 28 अप्रैल को ‘बेशर्म’ रिलीज हुई. फिर 5 मई को ‘त्रिशूल’ लगी तो उसके बाद 12 मई को ‘डॉन’ रिलीज़ हुई. सबसे बड़ी बात ये है कि ये चारों फिल्में हिट रहीं.
अपनी फिल्म के साथ किसी और बड़ी फिल्म के रिलीज से ज्यादातर मेकर्स घबराते हैं. लेकिन वो हिंदी सिनेमा का ऐसा ‘गोल्डन पीरियड’ था जब अमिताभ बच्चन की फिल्मों के निर्माताओं को अपने नायक पर इतना भरोसा था कि उन्होंने किसी भी किन्तु परन्तु की परवाह किये बिना हर हफ्ते कतार से अपनी फ़िल्में रिलीज़ करने का साहस किया. इन 4 फिल्मों की कहानी और अंदाज़ सब अलग था.
इन 4 फिल्मों से जुड़ी खास बातें
- इन फिल्मों में यदि कोई समानता थी तो वह यह कि इन 4 फिल्मों में से दो फिल्मों- ‘डॉन’ और ‘कसमे वादे’ में अमिताभ का डबल रोल था.
- दो फिल्मों ‘त्रिशूल’ और ‘डॉन’ की पटकथा सलीम जावेद ने लिखी थी. दो फ़िल्में ‘कसमे वादे’ और ‘त्रिशूल’ में अमिताभ के साथ नायिका राखी थीं. साथ ही ‘डॉन’ और ‘बेशर्म’ के संगीतकार कल्याणजी आनंदजी थे.
- 1975 में ‘दीवार’ फिल्म की सफलता के बाद ‘त्रिशूल’ गुलशन राय, यश चोपड़ा, सलीम जावेद और शशि कपूर फिर साथ आए.
डॉन का नहीं कोई मुकाबला
इन चारों फिल्मों में 'डॉन' सबसे बड़ी हिट रही. इस फिल्म मे अमिताभ को एक खास पहचान दिलाई. फिल्म में जीनत अमान, प्राण और इफ्तेखार जैसे सह कलाकारों वाली अमिताभ बच्चन की ‘डॉन’ एक अलग मिजाज़ की क्राइम थ्रिलर थी. ‘डॉन’ जहां अपने ‘खाइके पान बनारस वाला’, ‘मैं हूं डॉन’, ‘जिसका मुझे था इंतज़ार’ और ‘ये मेरा दिल प्यार का दीवाना’ जैसे गीतों के लिए जानी गई, वहीं अपने हिट डायलॉग्स के लिए भी यह अभी तक याद की जाती है.
इस फिल्म का ये डायलॉग ‘डॉन को पकड़ना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है’ अब तक हिट है, साथ ही अमिताभ बच्चन के अभिनय के लिए भी इसको बराबर याद किया जाता है. ‘डॉन’ के लिए अमिताभ बच्चन को सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का फिल्मफेयर पुरस्कार भी मिला. यहाँ यह भी बता दें कि अमिताभ बच्चन ने ‘डॉन’ के शानदार अभिनय के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार लगातार दूसरी बार पाया था. इससे एक साल पहले अमिताभ बच्चन को फिल्म ‘अमर अकबर एंथनी’ के लिए भी फिल्मफेयर मिला था.
इस फिल्म को बाद में शाहरुख खान ने रिमेक भी किया और इसके दो पार्ट बनाए लेकिन अमिताभ की फिल्म के जादू के आगे वो कहीं भी ठहरते नहीं दिखे.