अपने करियर के शुरुआती दौर में सिंगर आशा भोसले (Asha Bhosle) को काम तो मिल रहा था लेकिन वो ज्यादातर लो बजट गीत हुआ करते थे. 16 साल की छोटी सी उम्र में अपने करियर को लेकर आशा भोसले ने काफी संघर्ष किया. इसी दौरान आशा को बड़ी बहन लता मंगेशकर के सेक्रेटरी गणपत राव भोसले से प्यार हो गया. परिवार के खिलाफ जाकर आशा जी ने खुद से कई साल बड़े गणपत राव से शादी कर ली. उस वक्त गणपत राव की महीने की कमाई 100 रुपये थी.




हालांकि, गणपत राव, पत्नी के काम करने के खिलाफ नहीं थे लेकिन थोड़े पुराने खयालों के जरूर थे. इसी वजह से उनके गानों की वजह से आशा भोसले के ससुराल में कहा सुनी होने लगी. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, शादी के बाद आशा भोसले की जिंदगी में पर्सनल और प्रोफेशनल दोनों ही जगहों पर संघर्ष शुरू हो गया. परिवार के विरोध के बाद भी वो ट्रेन से सफर करते हुए अपनी रिकॉर्डिंग पर जाया करती थीं. घर चलाने के लिए उस वक्त आशा को किसी भी तरह के गाने मिलते वो गाती थीं. फिर साल 1953 में बिमल रॉय ने आशा को फिल्म 'परिणीता' में गाने का मौका दिया. इसके बाद राज कपूर ने भी अपनी फिल्म 'बूट पॉलिश' में उन्हें एक गाने का ऑफर दिया. गाना था 'नन्हे मुन्ने बच्चे तेरी मुठ्ठी में क्या है'. ये गाना बहुत हिट हुआ, जिसके बाद उन्होंने लगातार कई फिल्मों में अपनी आवाज़ दी. उनका करियर बुलंदियों पर था.







बी आर चोपड़ा की फिल्म 'नया दौर' से आशा को अपार सफलता मिली, लेकिन तब तक उनकी पर्सनल लाइफ में काफी उथल-पुथल मच चुकी थी.10 सालों की शादी के बाद एक दिन अचानक आशा भोसले पति और ससुराल वालों ने उन्हें घर से निकलने के लिए कह दिया. उस वक्त आशा प्रेग्नेंट थी, बड़े भारी मन से आशा भोसले ने अपने दोनों बच्चों को साथ लिया और मां के घर वापस लौट आईं. पर्सनल लाइफ में इतनी परेशानियों का सामना करने वाली आशा भोसले ने इसका असर अपने काम पर कभी पड़ने  नहीं दिया. उन्होंने अपनी पूरी लाइफ बच्चों की परवरिश करने और अपना करियर बनाने में लगा दी.

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