हिंदी सिनेमा के एक ऐसे सुपरस्टार जिन्होंने ना सिर्फ एक्टिंग के दम पर बल्कि अपने डायरेक्शन से भी लाखों लोगों का दिल जीता, उनका नाम था देव आनंद (Dev Anand). दरअसल, ये बात है साल 1957 की, जब देव आनंद अपनी फिल्म 'नौ दो ग्यारह' (Nau Do Gyarah) की शूटिंग कर रहे थे. इस फिल्म में उनके साथ कल्पना कार्तिक (Kalpana Kartik) ने लीड एक्ट्रेस की भूमिका निभाई थी, जो आगे चलकर देव आनंद की पत्नी बनी. फिल्म का डायरेक्शन देव आनंद के भाई विजय आनंद कर रहे थे और देव साहब खुद फिल्म के प्रोड्यूसर थे.


फिल्म 'नौ दो ग्यारह' की शूटिंग दिल्ली-बॉम्बे हाईवे पर चल रही थी, एक बार फिल्म की पूरी यूनिट मध्य प्रदेश के शिवपुरी इलाके में शूटिंग कर रही थी, तो रात को उन्हें वहीं पर रूकना पड़ा. ये वो दौर था जब डाकुओं का बहुत शौर था. पूरी टीम एक गेस्ट हाउस में रूकी हुई थी. तभी एक रात देव आनंद के कमरे का दरवाजा किसी ने खटखटाया. देव आनंद ने अंदर से पूछा 'कौन है?' तो आवाज आई 'हम हैं बगर सिंह.' ये सुनते ही देव साहब के होश उड़ गए और उन्होंने किसी तरह हिम्मत करके दरवाजा खोला और देखा कि सामने बड़ी-बड़ी मूछों वाला, बंदूक लिए एक आदमी खड़ा है.


इससे पहले देव आनंद कुछ कह पाते बगर सिंह ने देव आनंद की ही एक तस्वीर उन्हें दिखाते हुए बोला कि आप इस पर अपने हस्ताक्षर कर दो. ये सुनकर देव आनंद की जान में जान आई और उन्होंने अपनी तस्वीर पर ओटोग्राफ करके बगर सिंह को दे दिया. इतना ही नहीं, जाते-जाते बागी बगर सिंह ने देव आनंद से कहा, 'देव साहब अगर किसी भी चीज की जरूरत हो तो हमें जरूर याद करना.' और इतना कह कर वो वहां से चला गया.


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