भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री के सुपस्टार खेसारी लाला यादव आज जीवन में वह सब कुछ पा चुके हैं जिसका सपना एक एक्टर देखता है. हालांकि इस मुकाम तक पहुंचना उनके लिए आसान नहीं था. उनका बचपन बेहद गरीबी में बीता है.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कहा जाता है कि खेसारी के पिता चने बेचा करते थे. खेसारी के जन्म के समय उनका मिट्टी का मकान ढह गया था. पड़ोसी के पक्के मकान में जाकर मां ने खेसारी को जन्म दिया था. बाद में उनकी मां उनके पिता का कामकाज में हाट बंटाने दिल्ली चली गई ताकि घर पर बेटों के लिए कुछ कर सकें

एक इंटरव्यू में खेसारी ने बताया था कि वह चाचा के पास गांव में रह गए. खेसारी तीन भाई हैं जबकि चाचा के चार लड़के हैं. इस बड़े परिवार में आर्थिक तंगी इतनी ज्यादा थी कि ये सातों लड़के एक ही पैंट बदल-बदल कर पहनते थे. हालांकि खेसारी संघर्ष से घबराने वालों में नहीं थे. बाद में वह जागरण में गाने लगे और उन्हें कुछ पैसे मिलने लगे.

खेसारी ने जब म्यूजिक में हाथ आजमाया तो उनकी पहली तीन कैसेट फ्लॉप रहीं लेकिन चौथी कैसेट के हिट होने से उनकी किस्मत बदलने लगी. 'माल भेटाई मेला' उनका यह गाना लोगों की जुबां पर चढ़ गया.

‘ससुरा बड़ा पैसा वाला’ की कामयाबी ने मनोज तिवारी को भोजपुरी फिल्मों का स्टार बना दिया और इसके साथ ही यह ट्रेंड शुरू हो गया है कि हर भोजपुरी गायक हीरो बन सकता है. एक्टिंग के लिए पागल खेसारी से कामयाबी कब तक दूर रहती. धीरे-धीरे उनके पैर भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री में जमने लगे और देखते ही देखते वह भोजपुरी के सबसे बड़े स्टार बन गए.

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