बॉलीवुड (Bollywood) के जाने-माने डायरेक्टर अनुराग कश्यप (Anurag Kashyap) पिछले कई सालों से अपनी फिल्मों के जरिए फैंस को खूब एंटरटेन कर रहे हैं. अनुराग को ज्यादा तक रिएलिटी बेस्ड फिल्मों के लिए जाना जाता है क्योंकि उनकी फिल्मों में समाज का आईना नज़र आता है. शायद इसी कारण उनकी फिल्मों को पसंद करने वाले लोगों की गिनती करोड़ों में है.
गोरखपुर में पैदा हुए अनुराग कश्यप ने अब तक 'देव डी', 'गैंग्स ऑफ वासेपुर', 'गुलाल', 'बॉम्बे टॉकीज','अगली', 'रमन राघव 2.0' और 'मनमर्जिया' जैसी कई शानदार फिल्में बनाई. लेकिन यहां तक पहुंचने की राह इतनी भी आसान नहीं थी. अनुराग के पिता बिजली विभाग में चीफ इंजीनियर थे. उनके पिता सरकारी कर्मचारी थे इसीलिए अनुराग का बचपन किसी एक शहर में नहीं ठहरा. अनुराग कश्यप ने अपनी स्कूली पढ़ाई देहरादून और ग्वालियर से पूरी की जिसके बाद उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी के हंसराज कॉलेज से ग्रेजुएशन किया, जहां उन्हें थिएटर ग्रुप 'जन नाट्य मंच' में हिस्सा लेने का मौका मिला.
ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी करने के बाद अनुराग कश्यप जेब में 5 हज़ार रुपये लेकर अपनी किस्मत आज़माने मुंबई पहुंचे. जब पैसे खत्म होने लगे तो कई रातें उन्हें सड़कों पर ही सोकर गुज़ारनी पड़ी. काफी संघर्ष के बाद उन्हें मुंबई के मशहूर पृथ्वी थिएटर में काम मिला. फिर अनुराग की किस्मत ने साथ दिया जब साल 1998 में मनोज बाजपेयी ने उनका नाम फिल्म राइटिंग के लिए राम गोपाल वर्मा को उनका नाम सुझाया जिसके बाद अनुराग को सौरभ शुक्ला के साथ मिलकर फिल्म 'सत्या' (Satya) की कहानी लिखने का मौका मिला. फिल्म काफी बड़ी हिट साबित हुई. इस फिल्म के बाद अनुराग ने अपने करियर में कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा.