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भारत में सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस शुरू होने में देरी का मुख्य कारण क्या है?
कंपनियों द्वारा आवश्यक सभी रेगुलेटरी अप्रूवल प्राप्त न करना।
स्पेक्ट्रम आवंटन को लेकर TRAI और DoT के बीच सहमति का अभाव।
उपभोक्ताओं द्वारा सैटेलाइट इंटरनेट की मांग में कमी।
सैटेलाइट लॉन्चिंग की तकनीक में आई बाधाएं।
सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस शुरू करने के लिए किन कंपनियों को लाइसेंस मिला है?
सिर्फ स्टारलिंक को।
सिर्फ Eutelsat OneWeb और जियो सैटेलाइट को।
स्टारलिंक, Eutelsat OneWeb और जियो सैटेलाइट को।
सिर्फ भारत सरकार द्वारा अधिकृत टेलीकॉम कंपनियों को।
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स्पेक्ट्रम प्राइसिंग को लेकर सहमति बनने की प्रक्रिया में अगला कदम क्या होगा?
इसे सीधे केंद्रीय मंत्रिमंडल के पास भेजा जाएगा।
यह वायरलेस प्लानिंग एंड कॉर्डिनेशन विंग के पास जाएगा।
यह पहले स्टैंडिंग कमेटी में जाएगा।
इसे सीधे पब्लिक कंसल्टेशन के लिए जारी किया जाएगा।
सैटेलाइट इंटरनेट कैसे काम करता है?
यह केबल या फाइबर के माध्यम से इंटरनेट प्रदान करता है।
यह सैटेलाइट डिश के माध्यम से रेडियो वेव्स रिसीव करता है, जो पृथ्वी की सतह पर मौजूद टावरों से डेटा प्राप्त करती हैं।
यह सैटेलाइट डिश के माध्यम से लो या हाई अर्थ ऑर्बिट में मौजूद सैटेलाइट से रेडियो वेव्स रिसीव करता है, जिससे इंटरनेट मिलता है।
यह वाई-फाई हॉटस्पॉट के माध्यम से इंटरनेट प्रदान करता है।
सैटेलाइट इंटरनेट की सर्विस किस प्रकार के क्षेत्रों के लिए उपयोगी है?
केवल शहरी क्षेत्रों के लिए।
केवल उन क्षेत्रों के लिए जहां केबल कनेक्टिविटी उपलब्ध है।
रिमोट और दुर्गम इलाकों में कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिए।
जहां फाइबर ऑप्टिक केबल पहले से स्थापित हैं।
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