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फेडरेशन ऑफ इंडियन पायलट्स (FIP) ने DGCA पर क्या आरोप लगाया है?
पायलटों की कमी को जानबूझकर नजरअंदाज करने का आरोप।
यात्रियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए उड़ान नियमों को लागू करने में सहयोग न करने का आरोप।
फ्लाइट एंड ड्यूटी टाइम लिमिटेशन (FDTL) नियमों को ढंग से लागू न करने और कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन करने का आरोप।
एयरलाइंस को मनमानी करने की छूट देने और नियमों का पालन न करने का आरोप।
दिल्ली हाई कोर्ट में दाखिल याचिका के अनुसार, DGCA ने कोर्ट को किस बात का भरोसा दिलाया था?
एयरलाइंस को पायलटों की भर्ती प्रक्रिया में ढील दी जाएगी।
सिविल एविएशन रिक्वायरमेंट (CAR) 2024 को 1 नवंबर, 2024 तक पूरी तरह लागू कर दिया जाएगा।
पायलटों को अधिक उड़ान घंटे देने की अनुमति दी जाएगी।
एयरलाइंस को FDTL नियमों में छूट दी जाएगी।
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FIP के अनुसार, एयरलाइंस द्वारा तैयार FDTL ढांचा किससे मेल नहीं खाता है?
पायलटों की वर्तमान वेतन संरचना से।
DGCA द्वारा निर्धारित नियमों से।
उन मानकों से जिन पर DGCA ने अप्रैल 2025 में हाई कोर्ट के सामने सहमति दी थी।
यात्रियों की सुरक्षा आवश्यकताओं से।
याचिका में पायलटों की कमी के दावे को खारिज करते हुए क्या कहा गया है?
पायलट और क्रू की पर्याप्त संख्या नहीं है, इसलिए उड़ानें रद्द हो रही हैं।
पायलटों की कमी के कारण एयरलाइंस को नुकसान हो रहा है।
सेक्टर में पायलट और क्रू पर्याप्त संख्या में मौजूद हैं, लेकिन एयरलाइंस उन्हें पूरी क्षमता से ड्यूटी पर नहीं लगा रही हैं।
पायलटों को लचीले कॉन्ट्रैक्ट पर रखा जा रहा है जिससे उनकी कमी हो रही है।
दिल्ली हाई कोर्ट ने CAR 2024 को लागू करने के लिए एयरलाइंस को क्या निर्देश दिया था?
अपनी FDTL योजनाएं तीन महीने के भीतर DGCA को सौंपें।
अपनी FDTL योजनाएं तीन हफ्ते के भीतर DGCA को सौंपें।
CAR 2024 के नियमों को तुरंत लागू करें।
पायलटों की भर्ती प्रक्रिया में तेजी लाएं।
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