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सैटेलाइट इंटरनेट कैसे काम करता है?
यह फाइबर ऑप्टिक केबल्स के माध्यम से डेटा भेजता है।
यह टावरों के माध्यम से रेडियो तरंगें भेजता है।
यह सैटेलाइट डिश, सैटेलाइट और डेटा सेंटर का उपयोग करता है।
यह सीधे मोबाइल फोन से सिग्नल प्राप्त करता है।
सैटेलाइट इंटरनेट की आवश्यकता क्यों पड़ी?
क्योंकि केबल और टावर नेटवर्क अत्यधिक कुशल हैं।
रिमोट इलाकों में इंटरनेट की पहुंच को सीमित करने के लिए।
बाढ़ और भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाओं में सेवा बाधित होने पर भी कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिए।
क्योंकि मोबाइल नेटवर्क स्थापित करना सस्ता है।
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जियोस्टेशनरी अर्थ ऑरबिट (GEO) में सैटेलाइट कितनी ऊंचाई पर स्थित होते हैं?
2,000 किलोमीटर से कम
2,000 से 35,786 किलोमीटर के बीच
35,786 किलोमीटर से ऊपर
60,000 किलोमीटर से ऊपर
लो-अर्थ ऑरबिट (LEO) सैटेलाइट की विशेषता क्या है?
उच्च लेटेंसी और कम लागत।
उच्च लेटेंसी और उच्च लागत।
कम लेटेंसी और कम लागत।
कम लेटेंसी और उच्च लागत।
सैटेलाइट इंटरनेट का एक संभावित नुकसान क्या है?
रिमोट इलाकों में कनेक्टिविटी प्रदान करने में अक्षमता।
कम कीमत।
उच्च लेटेंसी और सेटअप की उच्च लागत।
प्राकृतिक आपदाओं का प्रभाव।
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