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DPDP Rules 2025 का मुख्य उद्देश्य क्या है?
नागरिकों को उनके डिजिटल डेटा पर नियंत्रण देना और प्राइवेसी खतरों से सुरक्षित रखना।
कंपनियों को डेटा संग्रह में अधिक स्वतंत्रता देना।
विदेशी कंपनियों के लिए भारत में डेटा सुरक्षा मानकों को कम करना।
नागरिकों को उनके डिजिटल डेटा पर नियंत्रण देना और प्राइवेसी खतरों से सुरक्षित रखना।
डेटा सुरक्षा के नियमों को लागू करने की समय सीमा को लम्बा करना।
DPDP Rules 2025 के अनुसार, डेटा ब्रीच होने पर क्या अनिवार्य है?
संबंधित उपयोगकर्ताओं को तुरंत और साफ शब्दों में डेटा लीक की जानकारी देना।
डेटा ब्रीच की जानकारी को सार्वजनिक करने से बचना।
संबंधित उपयोगकर्ताओं को तुरंत और साफ शब्दों में डेटा लीक की जानकारी देना।
डेटा ब्रीच की जांच को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करना।
सिर्फ उन उपयोगकर्ताओं को सूचित करना जिनका डेटा वित्तीय रूप से संवेदनशील था।
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बच्चों और दिव्यांग व्यक्तियों के डेटा के संबंध में DPDP Rules 2025 क्या प्रावधान करता है?
उनके डेटा को प्रोसेस करने से पहले उनके अभिभावक की सत्यापित सहमति लेनी होगी।
उनका डेटा प्रोसेस करने से पहले सहमति की आवश्यकता नहीं है।
उनके डेटा को किसी भी परिस्थिति में प्रोसेस नहीं किया जा सकता।
उनके डेटा को प्रोसेस करने से पहले उनके अभिभावक की सत्यापित सहमति लेनी होगी।
उन्हें डेटा सुरक्षा के नियमों से पूरी तरह छूट दी गई है।
डेटा स्टोरेज की समय-सीमा के संबंध में DPDP Rules 2025 क्या निर्धारित करता है?
डेटा को केवल कानूनी रूप से आवश्यक होने पर ही एक साल से अधिक समय तक स्टोर किया जा सकता है।
डेटा को अनिश्चितकाल तक स्टोर किया जा सकता है।
डेटा को केवल कानूनी रूप से आवश्यक होने पर ही एक साल से अधिक समय तक स्टोर किया जा सकता है।
डेटा को एक साल से अधिक समय तक स्टोर नहीं किया जा सकता, भले ही कानूनी आवश्यकता हो।
डेटा स्टोरेज की कोई समय सीमा निर्धारित नहीं है।
DPDP नियमों का उल्लंघन करने पर डेटा प्रोटेक्शन बोर्ड द्वारा कितना अधिकतम जुर्माना लगाया जा सकता है?
250 रुपये प्रति केस
50 रुपये प्रति केस
100 रुपये प्रति केस
250 रुपये प्रति केस
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