उत्तर प्रदेश 2022 के विधानसभा चुनाव नतीजों में बहुजन समाज पार्टी की हालत किसी से छिपी नहीं है. पार्टी को महज एक सीट मिली है.  बलिया की रसड़ा विधानसभा सीट से इकलौते बसपा उम्मीदवार उमाशंकर सिंह जीते हैं. साल 2012 के बाद जो बसपा का राजनीतिक पतन शुरू हुआ, वो बदस्तूर जारी है. 2017 में जब यूपी ने मोदी लहर देखी थी, उस वक्त भी बसपा 19 सीट जीतने में कामयाब रही थी. लेकिन आज आलम ऐसा है कि कभी जिन जिलों को बसपा का मजबूत गढ़ माना जाता था, वहां आज उसके उम्मीदवार वोटों को तरस रहे हैं.


2017 में बसपा अंबेडकरनगर जिले की 3 सीट जीतने में कामयाब रही थी लेकिन इस चुनाव में उसका आखिरी किला भी उसके हाथों से निकल गया. मायावती पश्चिमी उत्तर प्रदेश से आती हैं. यूपी ने कभी वो जमाना भी देखा था, जब आगरा, मुजफ्फरनगर, बिजनौर जैसे जिलों में बसपा सबसे ज्यादा सीटें जीतती थी. इसी वजह से उसने 2007 के चुनाव में अपने दम पर पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई थी. 


बसपा इस बार भी 2007 की तर्ज पर सोशल इंजीनियरिंग के फॉर्मूले पर मैदान में उतरी थी, लेकिन यह भी बुरी तरह फ्लॉप रहा. आगरा के एत्मादपुर, आगरा ग्रामीण, आगरा कैंट, फतेहपुर व खेरागढ़ में बसपा पहले चुनाव जीतती रही है. 


अंबेडकरनगर में झटका


बसपा को सबसे ज्यादा झटका अंबेडकरनगर में लगा. इस जिले में कुल पांच विधानसभा सीट हैं. पिछले चुनाव में बसपा कटेहरी, जलालपुर और अकबरपुर जीतने में कामयाब रही थी.  कटेहरी से चुनाव जीतने वाले लालजी वर्मा और अकबरपुर से चुनाव जीतने वाले रामअचल राजभर को बसपा से निकाल दिया गया. बसपा ने इनकी जगह नए उम्मीदवारों पर दांव लगाया लेकिन वह फेल हो गया. 


सोशल इंजीनियरिंग भी धरी रह गई


15 साल पहले बसपा ने सोशल इंजीनियरिंग से सत्ता हासिल करने का जो फॉर्मूला अपनाया था, उसे इस बार प्रदेश की जनता ने पूरी तरह नकार दिया. बसपा ने अयोध्या से प्रबुद्ध वर्ग सम्मेलन शुरू किया था, जो उसके कोई काम नहीं आया. हालांकि 2022 के विधानसभा चुनाव में बसपा का मूल दलित आधार अभी भी कायम है और उसका वोट शेयर करीब 13 फीसदी है


अर्श से फर्श तक आई बसपा


शुरुआती चरण के दौरान मायावती केवल अपने ट्वीट के जरिए वोटर्स के बीच गईं. चुनाव अभियान की कमान उनके करीबी विश्वासपात्र सतीश चंद्र मिश्रा ने संभाल रखी थी. पार्टी को मजबूती देने और संगठन के कामों की वजह से प्रचार नहीं कर पाईं. वह पहले चरण के मतदान के कुछ दिन पहले प्रचार को निकलीं और चुनावी रैलियों में भी भाग लिया लेकिन तब तक शायद देर हो चुकी थी.


बसपा ने राज्य में चार बार अपनी सरकार बनाई है, जिसमें एक पूर्ण बहुमत की सरकार भी शामिल है. पार्टी 1993 में सपा के नेतृत्व वाली सरकार का भी हिस्सा थी. 2001 में बसपा अध्यक्ष बनने वाली मायावती चार बार राज्य की मुख्यमंत्री रह चुकी हैं.


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