Mayawati Speech: नीले रंग के मंच से लगातार नारे लग रहे थे. बीएसपी (BSP) के सत्ता में लायेंगे फिर सर्व समाज के खुशहाल बनायेंगे. हर पोलिंग बूथ को जिताना है, बीएसपी (BSP) को सत्ता में लाना है. बहन जी संघर्ष करो, हम तुम्हारे साथ है. सारे नारे काग़ज़ पर लिखे हुए थे और बीएसपी (BSP) के तीन नेता मंच से नारे लगाए जा रहे थे. अचानक हेलिकॉप्टर की आवाज़ आई. थोड़ी देर बाद ही मायावती (Mayawati) मंच पर पहुंच गईं. हाथ हिला कर उन्होंने सामने खड़ी भीड़ का अभिवादन किया. लोगों ने तालियां बजा कर बाबा तेरा मिशन अधूरा, बहन मायावती (Mayawati) करेंगी पूरा के नारे लगाए. 


मंच पर मायावती (Mayawati) के अलावा कोई नेता नहीं था. मंच पर बस एक सोफ़ा लगा था जिस पर मायावती (Mayawati) बैठ गईं. बीएसपी (BSP) अध्यक्ष मायावती (Mayawati) की यूपी चुनाव में ये पहली रैली थी. इसके लिए उन्होंने आगरा को चुना. आगरा को दलितों का गढ़ कहा जाता है. पिछले चुनाव को छोड़ कर हर चुनाव में यहां के लोगों ने बीएसपी (BSP) का साथ दिया है. क्या इस बार भी यूपी की जनता मायावती (Mayawati) का साथ देगी ? इस बार समाजवादी पार्टी और बीजेपी के बीच सीधी टक्कर की बात कही जा रही है. लेकिन तीसरी ताक़त मायावती (Mayawati) की अनदेखी नहीं की जा सकती है.


बीएसपी (BSP) के कार्यकर्ता कोविड नियमों का पालन करने की अपील कर रहे थे. पंडाल में चुनाव आयोग के आदेश के मुताबिक़ सिर्फ़ एक हज़ार कुर्सियां लगाई गई थीं.  मायावती (Mayawati) के टेबल के सामने भी हैंड सेनेटाइजर की दो बोतलें रखी थीं. कहा जाता है कि बीएसपी (BSP) के कार्यकर्ता बड़े अनुशासित होते है. आगरा की रैली में ये साफ़ दिख रहा था. यूपी की चार बार मुख्यमंत्री रह चुकीं मायावती (Mayawati) कुछ पन्ने पलट रही थीं. 


बीजेपी और समाजवादी पार्टी से बिल्कुल अलग तरह का मंच मायावती (Mayawati) का होता है. यहां किसी और नेता के बैठने के लिए कुर्सी नहीं लगाई जाती है. पार्टी के दूसरे सबसे ताकतवर नेता सतीश चंद्र मिश्रा की तबियत ख़राब है. इसीलिए वे मायावती (Mayawati) के साथ नहीं आ पाए.


मायावती (Mayawati) ने 40 मिनट के अपने भाषण में बारी बारी से बीजेपी, समाजवादी पार्टी और कांग्रेस से बच कर रहने की सलाह दी. वैसे तो इस चुनाव में कांग्रेस कहीं लड़ती तो नज़र नहीं आ रही है लेकिन इसी बहाने उन्होंने इमोशनल कार्ड खेला. कांग्रेस ने बाबा साहेब अंबेडकर को भारत रत्न नहीं दिया. कांग्रेस ने कांशीराम के निधन पर राष्ट्रीय शोक नहीं घोषित किया.


कांग्रेस के बाद मायावती (Mayawati) ने समाजवादी पार्टी पर जम कर हमला बोला. उन्होंने कहा कि समाजवादी सरकार में माफ़िया और गुंडों का राज चलता है. एक जाति विशेष की सरकार चलती है. उन्होंने आरोप लगाया कि समाजवादी पार्टी के राज में दलितों और पिछड़ों का शोषण होता है. मायावती (Mayawati) ने कहा कि जब संसद में दलितों के लिए प्रमोशन में आरक्षकों बिल लाया जा रहा था तब समाजवादी पार्टी के सांसदों ने इसका विरोध किया था. बिल की कॉपी फाड़ दी थी.


बीजेपी को उन्होंने धर्म की राजनीति करने वाली पार्टी बताया. मायावती (Mayawati) ने कहा कि बीजेपी के राज में सिर्फ़ पूंजीपतियों की चलती है. उन्होंने कहा कि बेरोज़गारी से लेकर महंगाई बीजेपी की डबल इंजन सरकार में चरम पर है. 


पिछले चुनाव में हार के लिए उन्होंने अपनी ही पार्टी के कुछ बड़े नेताओं को ज़िम्मेदार ठहराया. मायावती (Mayawati) ने कहा कि ये सभी नेता अब दूसरी पार्टियों में चले गए हैं . बीएसपी (BSP) में रहते हुए ऐसे नेताओं ने ग़लत लोगों को टिकट दिलवा दिया. बीएसपी (BSP) अध्यक्ष ने कहा कि इस बार सिर्फ़ समर्पित कार्यकर्ताओं को ही चुनाव लड़वाया जा रहा है.


मायावती (Mayawati) ने मीडिया में हो रहे ओपिनियन पोल और सर्वे को बीजेपी की चाल बताया. उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी ने मीडिया को कंट्रोल कर रखा है. 2007 के विधानसभा चुनाव का हवाला देते हुए बीएसपी (BSP) अध्यक्ष ने कहा कि तब सभी सर्वे में बीएसपी (BSP) के तीसरे नंबर की पार्टी बताया था पर जब नतीजे आए तो बीसवीं नंबर वन पर थी और हमारी सरकार बनी.


अधिकतर चुनावी सर्वे और ओपिनियन पोल में बीएसपी (BSP) को बीजेपी और समाजवादी पार्टी से पिछड़ते हुए बताया जा रहा है. ये भी कहा जा रहा है कि जाटव वोट भी उनके साथ नहीं रहा. आगरा की रैली से तो कम से कम ये संदेश गया है कि मायावती (Mayawati) अब भी गेम में हैं. दलित वोटरों का एक बड़ा हिस्सा आज भी उन्हें ही अपना मानता है.


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