रायपुर: छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में सुरक्षाबलों को बड़ी कामयाबी मिली है, बीजेपी विधायक भीमा मंडावी की हत्या का मास्टरमाइंड अपने एक साथी के सहित मारा गया है. विधायक भीमा मंडावी की हत्या नक्सली कमांडर एसीएम वर्गीस था जिसे ID प्लांट करने का मास्टर माना जाता था. बताया जा रहा है कि 5 लाख के इनामी वर्गीस ने ही बीजेपी विधायक भीमा मंडावी की हत्या के लिए लैंड माइन बिछाई थी.
कुआकोंडा के दुवालीकरका जंगलों में हुई मुठभेड़ के बाद सुरक्षाबलों ने एसीएम वर्गीस को ढेर कर दिया. बता दें कि लोकसभा चुनाव की पहले चरण की वोटिंग से पहले छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा नक्सली हमले में बीजेपी विधायक भीमा मंडावी समेत 5 लोगों की मौत हो गई थी. इसमें बीजेपी विधायक भीमा मंडावी, उनका ड्राइवर और उनकी सुरक्षा में लगे तीन निजी सुरक्षा अधिकारियों की मौत हो गई थी.
विधायक भीमा मंडावी की मौत के बाद छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम रमन सिंह ने कांग्रेस सरकार पर हमला बोला था. उन्होंने कहा कि कांग्रेस की बोली और गोली का असर दिखने लगा है. रमन सिंह ने सीबीआई जांच की मांग करते हुए कहा कि अगर आप कुछ छुपाना नहीं चाहते हैं, तो भीमा मंडावी की मौत की सीबीआई जांच का आदेश दीजिए. इस मौत के पीछे साजिश की बू आ रही है. हमले को लेकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आपात बैठक बुलाई थी.
सुरक्षा वापस भेजने के बाद प्रचार पर निकले थे विधायक मंडावी नक्सली हमले को लेकर पुलिस ने एक नया खुलासा किया था. पुलिस की मानें तो दंतेवाड़ा विधायक भीमा मंडावी को सुबह 9 बजे से ही 50 डीआरजी के जवानों की सुरक्षा दी गई थी. इस सुरक्षा व्यवस्था के साथ भीमा मंडावी ने दंतेवाड़ा के नेतापुर, तन्नेनार, मेटापाल जैसे नक्सल प्रभावित इलाकों में प्रचार किया. जिसके बाद भीमा मंडावी दोपहर 1 बजे वापस दंतेवाड़ा बीजेपी कार्यालय पहुंचे और प्रचार कार्य खत्म होने की बात कहते हुए उन्होंने सुरक्षा वापिस भेज दी.
इसके कुछ देर बाद भीमा मंडावी अपनी तीन गाड़ियों में वापिस किरंदुल की ओर निकल गए. इस दौरान उनके साथ उनके कुछ सुरक्षा गार्ड ही मौजूद थे. सुरक्षा के बिना भीमा मंडावी के प्रचार पर निकलने की खबर पाकर बचेली थाने के प्रभारी ने उन्हें आगाह भी किया कि आगे मार्ग पर पर्याप्त पुलिस बल नहीं है. इसके बावजूद भीमा मंडावी उस रास्ते पर आगे गए जिसके बाद नक्सलियों ने उनकी गाड़ी को निशाना बनाया. हालांकि पुलिस के इस खुलासे से पहले बीजेपी नेता भीमा मंडावी को कम सुरक्षा दिए जाने का आरोप राज्य सरकार और प्रशासन पर लगा रहे थे.