दिल्ली चुनाव: दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी 62 सीट जीतकर दोबारा से सरकार बनाने के लिए तैयार है. दिल्ली चुनाव में बीजेपी को करारी हार का सामना करना पड़ा है और पार्टी को महज 8 सीटें ही मिली हैं. बीजेपी की हार के बाद एक वायरल मैसेज में दावा किया जा रहा है कि अगर तीन फीसदी अधिक वोटिंग हुई होती तो बीजेपी 44 सीटें जीतने में कामयाब रहती. इस मैसेज में और भी कई दावे किए जा रहे हैं, लेकिन आईए जानते हैं कि वायरल होते इस मैसेज का सच क्या है.


वायरल मैसेज का दावा


वायरल होते मैसेज में दावा किया जा रहा है बीजेपी को दिल्ली में 8 सीटों पर 100 से कम वोट से हार का सामना करना पड़ा है. मैसेज में कहा जा रहा है कि 19 सीटें ऐसी रहीं जहां बीजेपी उम्मीदवार को एक हजार से कम वोटों से हार मिली. 9 सीटों पर बीजेपी के 2000 वोट से हारने का दावा किया जा रहा है. इसके साथ ही कहा जा रहा है कि देख लीजिए जब आप कम वोट करते हैं तो क्या नतीजें सामने आते हैं. इसके साथ ही दावा है कि तीन फीसदी और वोट मिलते तो चुनाव के नतीजे पूरी तरह अलग होते. इस तरह दावा किया जा रहा है कि बीजेपी 44 सीटें जीत जाती.






झूठे हैं सभी दावे


वायरल मैसेज के सभी दावे पूरी तरह से झूठे हैं. दिल्ली विधानसभा चुनाव में एक भी सीट ऐसी नहीं रही जहां जीत का अंतर 100 से कम वोट का हो. दिल्ली में सबसे छोटी जीत 753 वोट से हुई है. आम आदमी पार्टी के बिजवासन से उम्मीदवार भूपेंद्र सिंह 753 वोट से जीत दर्ज करने में कामयाब रहे. आम आदमी पार्टी के लक्ष्मीनगर से विधायक नितिन त्यागी को 880 वोट से हार का सामना करना पड़ा. कांटे की टक्कर में बीजेपी के अभय वर्मा ने उन्हें मात दी. इन दो सीटों पर ही जीत का अंतर एक हजार वोट से कम का है, जिनमें से एक सीट बीजेपी के खाते में गई और एक आप के हिस्से आई.


13 सीटें रही जहां जीत का अंतर 7 हज़ार वोटों का है. आदर्श नगर से भी आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार राजकुमार भाटिया 1,589 वोट से जीत दर्ज करने में कामयाब रहे. इसके अलावा किसी भी सीट पर जीत का अंतर 2 हजार वोट से कम का नहीं रहा. दिल्ली की 6 सीटों पर जीत का अंतर 2 हजार से 5 हजार के बीच रहा, जबकि चार सीटों पर जीत का अंतर पांच हजार से सात हजार वोट के बीच रहा.


वोट प्रतिशत के मामले में भी आम आदमी पार्टी और बीजेपी के बीच करीब 15 फीसदी का अंतर है. आम आदमी पार्टी को 54 फीसदी वोट मिले हैं, जबकि बीजेपी को 39 फीसदी. ऐसे में तीन फीसदी वोट ज्यादा पोल होने से भी फाइनल नतीजों की तस्वीर ज्यादा अलग होने की संभावना नहीं थी. इसलिए वायरल मैसेज में किए जा रहे सभी दावे पूरी तरह से झूठे हैं.


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