नई दिल्ली: राजस्थान के कोटा में एक ऐसी विधानसभा सीट है जहां से जिस पार्टी का उम्मीदवार हारता है सरकार उसी की बनती है. फिल्म बाजीगर का सुपरहिट डायलॉग 'हार कर भी जीतने वाले को बाजीगर कहते हैं' कोटा की हिंडोली विधानसभा सीट पर बिल्कुल फिट बैठता है. जो भी पार्टी इस सीट पर चुनाव हारती है राज्य में सरकार उसी पार्टी की बनती है. यानी हिंडोली में हार कर भी प्रदेश में सरकार बन जाएगी.

ये किसी ज्योतिष की भविष्यवाणी नहीं बल्कि पिछले 28 सालों का चुनावी इतिहास रहा है. 2013 में कांग्रेस के अशोक चांदना हिंडोली से जीते लेकिन सरकार बीजेपी की बनी. 1990, 1993 और 2003 में हिंडोली में कांग्रेस की जीत हुई लेकिन सरकार बीजेपी ने बनाई. 2008 में हिंडोली से बीजेपी के विधायक जीते थे और सरकार कांग्रेस की बनी.

1998 में अपवाद भी रहा जब हिंडोली से कांग्रेस के उम्मीदवार जीते और कांग्रेस की ही सरकार बनी. लेकिन कुछ महीने बाद ही उप चुनाव हुए और बीजेपी का ही विधायक बना.

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इसे लेकर बीजेपी का कहना है कि ये महज एक संयोग है और इस बार वो हिंडोली में भी जीतेंगे और राज्य में भी. इस बार के चुनाव में देखना दिलचस्प होगा कि हिंडोली में हार क्या राजस्थान में सरकार बनाने का रास्ता खोलेगी या सालों से चली आ रही इस कहानी में कोई ट्विटस्ट आएगा. बता दें कि राजस्थान में 7 दिसंबर को विधानसभा का चुनाव है और 11 दिसंबर को नतीजे आएंगे.

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