नई दिल्ली: राजस्थान विधानसभा चुनाव के 199 सीटों के नतीजों पर पूरे देश की निगाह है. लेकिन राजस्थान में रण सिर्फ बीजेपी और कांग्रेस के बीच नहीं है. बल्कि ये रण कांग्रेस के अंदर भी है. कांग्रेस ना सिर्फ पिछले विधानसभा चुनाव में हारी बल्कि लोकसभा में उसको एक भी सीट राजस्थान से नहीं मिली. लेकिन फरवरी 2018 में उपचुनाव हुए तो पार्टी ने दो लोकसभा और एक विधासनभा सीट पर जीत दर्ज की.
इन नतीजों ने राजस्थान में पस्त पड़ी कांग्रेस में जान फूंक दी. इसका नतीजा हुआ कि राजस्थान में सीएम की दौड़ में कांग्रेस की तरफ से कई नाम शामिल हो गए. दौड़ में दो सबसे बड़े नाम हैं अशोक गहलोत और सचिन पायलट. दोनों के बीच तनातनी की बातें तो कई बार सामने आई लेकिन आधिकारिक तौर पर न तो गहलोत ने और न ही सचिन पायलट ने कभी इस विवाद की बात को माना. लेकिन ये संघर्ष हर विधानसभा में नजर आता है.अशोक गहलोत के पक्ष में क्या जाता है? राजस्थान में कांग्रेस की तरफ से सबसे बड़ा नाम अशोक गहलोत का है. गहलोत का अनुभव उनके साथ जाता है. पिछले 40 साल से वो राज्य और केंद्र की राजनीति में सक्रिय हैं. गहलोत की पिछड़ी जाति और ओबीसी समुदाय पर अच्छी पकड़ है. वो केंद्र के मंत्री पद से लेकर राज्य का मुख्यमंत्री पद संभाल चुके हैं. इसके अलावा काडर में उनके निष्ठावान लोगों की भरमार है. राज्य के हर विधानसभा क्षेत्र में बड़ी तादाद में उनके समर्थक, और बूथ वर्कर हैं.
सचिन पायलट के पक्ष में क्या जाता है? अशोक गहलोत के सामने युवा नेता सचिन पायलट हैं. पायलट अब तक नेता और प्रशासक के तौर पर खुद को साबित नहीं कर पाए हैं. सचिन पायलट ने पिछले पांच साल में राजस्थान में जमीन पर काम किया है. उन्होंने विधानसभा-विधानसभा जाकर कांग्रेस संगठन को मजबूत करने की कोशिश की है. इसके अलावा वो राहुल गांधी की युवा टीम के अहम सदस्य हैं.पंजाब की तरह राजस्थान में कांग्रेस ने किसी चेहरे का एलान नहीं किया है. ये भी साफ नहीं है कि कांग्रेस जीती तो मुख्यमंत्री कौन बनेगा. लेकिन ये खींचतान कांग्रेस को नुकसान पहुंचा सकती है ये बात दोनों नेताओं को अच्छी तरह मालूम थी. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने दोनों के बीच मेलमिलाप दिखाने की भरपूर कोशिश की.
कांग्रेस की तरफ से दोनों को एकजुट दिखाने का नतीजा ये हुआ नवंबर में गहलोत और पायलट दोनों मीडिया के सामने आए जिसमें दोनों ने ही विधानसभा चुनावों में उतरने का एलान किया था. इसी के साथ चुनाव प्रचार के बीच अशोक गहलोत, सचिन पालयट की बाइक पर बैठे नजर आए. ये एकजुटता का संदेश देने के लिए किया गया था.
राजस्थान में विधायक दल की चलेगी या कांग्रेस हाई कमान की? ऐसे में सवाल ये है कि राजस्थान की गाड़ी को कौन चलाएगा. टिकट बंटवारा हुआ तो उसमें अशोक गहलोत के समर्थकों को ज्यादा टिकट मिले. मतलब राज्य विधानसभा की लगाम अशोक गहलोत को हाथ में रहेगी. सच ये भी है कि कांग्रेस हाईकमान की पहली पसंद सचिन पायलट हैं.
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दोनों नेताओं ने चुनाव के दौरान बीजेपी को हराने पर ज्यादा ध्यान लगाया है और यहीं आकर कांग्रेस मजबूत दिखाई देती है. बीजेपी ने चुनाव प्रचार के दौरान बार-बार कांग्रेस की कलह का जिक्र किया. तो वहीं कांग्रेस चाहती है कि राजस्थान के रास्ते वो 2019 की तरफ जीत के साथ कदम बढ़ाए. आखिर में क्या होगा यह तो 11 दिसंबर को नतीजों के बाद ही तय होगा. लेकिन अगर कांग्रेस को बहुमत मिला तो सूबे की कमान किसके हाथ होगी अब भी बड़ा सवाल बना हुआ है.
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