नई दिल्ली: राजस्थान में बीजेपी के उम्मीदवारों की पहली सूची जारी होने के बाद बगावत का सिलसिला शुरू हो चुका है. शुरुआत सीएम वसुंधरा राजे के करीबियों ने की है जो सरकार में हैं या रह चुके हैं. इस कड़ी में अभी और भी कई नाम जुड़ने बाकी हैं जो उम्मीदवारों की दूसरी लिस्ट के आने का इंतजार कर रहे हैं.
सुरेन्द्र गोयल, गोरधन मेघवाल और नन्दलाल मीणा ये वो चेहरे हैं जो कल तक बीजेपी के वफादार थे. लेकिन पार्टी ने जैसे ही इनका टिकट काटा इन्होंने बीजेपी के खिलाफ बगावत का बिगुल फूंक दिया है. शुरुआत सुरेन्द्र गोयल से हुई जो सीएम वसुंधरा के करीबी हैं. कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं लेकिन अबकी बार पार्टी ने इनका टिकट काट दिया है.
सुरेंद्र गोयल ने बीजेपी पर सवाल उठाते हुए कहा, ''मैं पांच बार विधायक रहा हूं. 8 बार चुनाव लड़ा और पांच बार जीता हूं. पार्टी बताए मेरा टिकट क्यों काटा गया? उन्होंने आगे कहा, संघ के दबाव में मुझे हटाया गया क्योंकि मैं संघ के थोपे हुए एजेंडों के खिलाफ था.'' बता दें कि गोयल पार्टी से इस्तीफा दे चुके हैं और निर्दलीय चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं जिसने बीजेपी की चिंता बढ़ा दी है.
नाखुश गोयल को बीजेपी नैतिकता की दुहाई देकर चुनाव से दूर रहने की अपील कर रही है. लेकिन पार्टी की कोशिशों पर अपने ही पानी फेरने में जुट गए हैं. इस कड़ी में जैतारण से सटे सोजत सीट से भी बगावत की गूंज उठ रही है. तो लगे हाथ प्रतापगढ़ से विधायक और वसुंधरा सरकार में जनजातीय विकास मंत्री नंदलाल मीणा भी अपनी ही पार्टी से चुटकी ले रहे हैं. वो भी तब, जब बीजेपी ने इनकी जगह इनके बेटे को मैदान में उतारा है.
राजस्थान में बीजेपी की मुश्किलें बढ़ाने वाले सिर्फ ये तीन चेहरे नहीं हैं बल्कि जानकारों की मानें तो बगावत करने वालों की फेहरिस्त अभी और बढ़ सकती है. लाइन में 21 और विधायक हैं जो टिकट ना मिलने की सूरत में बगावत की राह पकड़ सकते हैं.
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चुनाव में महीनेभर का भी वक्त नही बचा है. जाहिर है ऐसे में बीजेपी और कांग्रेस अपने उम्मीदवारों की घोषणा देरी से इसलिए कर रहे हैं ताकि बागी नेताओं को पार्टी को नुकसान पहुंचाने के लिए ज्यादा समय न मिले. सूबे में सात दिसंबर को एक चरण में वोट डाले जाएंगे और नतीजे 11 दिसंबर को आएंगे.
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