नई दिल्ली: संसद के बजट सत्र में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का पहला अभिभाषण वास्तव में नरेंद्र मोदी सरकार के मौजूदा कार्यकाल का रिपोर्ट कार्ड होगा. मोदी सरकार के कार्यकाल में जो हुआ, वह तो गिनाया ही जाएगा.
संसद के संयुक्त सदन को जब सोमवार को राष्ट्रपति संबोधित करेंगे तो अगले लोकसभा चुनाव में मोदी के एजेंडे की तरफ भी इशारा कर देंगे. सरकार की उपलब्धियों और दृष्टि को परिलक्षित करने वाले राष्ट्रपति के अभिभाषण में मोदी सरकार के प्रबंधकों ने तीन मोर्चों पर ज्यादा जोर दिया है.
राष्ट्रपति का अभिभाषण वास्तव में केंद्र सरकार का दस्तावेज होता है. इसमें पिछले कामकाज के साथ आगे की दशा-दिशा का इशारा होता है. अब जबकि मोदी सरकार का यह अंतिम बजट माना जा रहा है, ऐसे में राष्ट्रपति का अभिभाषण खासा अहम हो जाता है.
राष्ट्रपति के इस अभिभाषण के जरिये मोदी एक तरह से अगले लोकसभा चुनाव चाहे वह 2019 में हो या फिर उससे पहले का एक तरह से अनाधिकारिक बिगुल फूंक देंगे. तीन मोर्चों पर मोदी सरकार का जोर है.
पहला जो सरकार के कामकाज को लेकर भ्रम है, उसे दूर करना. दूसरे जो अब तक सरकार ने जीएसटी व नोटबंदी समेत जो बडे व क्रांतिककारी कदम उठाए, उसका डंका पीटना और तीसरे न्यू इंडिया की अवधारणा वाला भारत जहां सबको बराबरी के अवसर हों. इसी क्रम में आंतरिक व सामरिक सुरक्षा के साथ-साथ विदेश नीति के मोर्चे पर उपलब्धियों को भी गिनाया जाएगा.
सूत्रों के मुताबिक, सरकार की पहली प्राथमिकता विपक्ष के कुछ न हो पाने के आरोपों की काट की है. नौकरी जाने या बेरोजगारी के साथ-साथ अर्थव्यवस्था ठीक न होने या व्यापार का बंटाधार होने जैसे विपक्ष के आरोपों का जवाब राष्ट्रपति के अभिभाषण में होगा. दुनिया में बारत की रेटिंग ठीक होने के अलावा मुद्रा, स्किल इंडिया जैसी योजनाओं में जो हुआ, उन्हें राष्ट्रपति के अभिभाषण के जरिये गिनाया जाएगा.
खासतौर से खेती-किसानी के मुद्दे पर भी सरकार की चिंता और किसानों के जख्मों को सहलाने की कवायद कोविंद के अभिभाषण में दिखेगी. सामाजिक सद्भाव के मोर्चे पर लग रहे आरोपों की काट भी राष्ट्रपति करेंगे. कोविंद के अभिभाषण में सरकार के विकास कार्यों और समाज के पिछड़े व कमजोर तबकों के सशक्तीकरण के प्रयासों पर भी रोशनी डाली जाएगी.
सर्जिकल स्ट्राइक से लेर नोटबंदी व जीएसटी के अलावा बैंकों के सशक्तीकरण क्षेत्र में उठाए गए कदमों का जिक्र भी प्रमुखता से राष्ट्रपति के अभिभाषण में होगा. इस कड़ी में जाहिर तौर पर जीएसटी को गेमचेंजर के रूप में गिनाया जाएगा. पूरे देश को एक आर्थिक शासन के दायरे में लाने वाले इस बड़े आर्थिक सुधार के फायदे गिनाएंगे ही.
इसके साथ ही आर्थिक रिपोर्ट के अलावा तमाम रेटिंग एजेंसियों का तरफ से भारत का दर्जा बढ़ने का भी हवाला दिया जाएगा. इसके मुताबिक, भारतीय अर्थव्यवस्था अपने सबसे मजबूत दौर से गुजर रही है. इसके अलावा स्वच्छ भारत अभियान और उज्जवला जैसी उनके दिल के करीब योजनाओं का भी वे गुणगान करेंगे.
इसके अलावा तीसरा बिंदु खासतौर से पीएम मोदी के 'न्यू इंडिया' के नारे पर फोकस होगा. नया भारत यानी एक ऐसा भारत, जहां सबको बराबरी के अवसर हों. एक ऐसा भारत जहां आर्थिक, सामाजिक या किसी भी विषमता की वजह से किसी का अवसर न छिने.
आर्थिक उपलब्धियों, आतंक पर प्रहार के साथ सामरिक सुरक्षा के मोर्चे पर हुई उपलब्धियों को भी राष्ट्रपति गिनाएंगे. बदलते भारत की तस्वीर को वह दिखाएंगे. गरीब और पिछड़े परिवारों के लोग कैसे शीर्ष पदों पर गए हैं, इनको भी वह छुएंगे. मगर सबसे ज्यादा जोर युवा, महिलाओं पर होगा. रोजगार और उनकी सुरक्षा के साथ स्विवलंबन और सुरक्षा राष्ट्रपति के अभिभाषण की केंद्रीय विषय वस्तु होगी.