MP Assembly Election 2023: मध्य प्रदेश में अगले दो-तीन महीनों में विधानसभा चुनाव होना है. बीजेपी अपनी पूरी ताकत के साथ प्रचार-प्रसार करने में लगी है, यहां तक की खुद केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह राज्य की कमान अपने हाथ में लिए हुए हैं. शाह पिछले दो महीनों से लगातार मध्य प्रदेश में चुनावी रणनीति तैयार करने में लगे हैं. हालांकि, इस सबके बावजूद पार्टी के नेताओं में अंदरूनी मतभेद पैदा हो रहा है. बीजेपी के लिए चुनाव से पहले मध्य प्रदेश के ग्वालियर-चंबल में मुश्किलें बढ़ सकती हैं क्योंकि यहां से आने वाले दो दिग्गज केंद्रीय मंत्रियों के बीच मनमुटाव की खबरें है. 


पीएम मोदी कैबिनेट में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में बीजेपी के सबसे कद्दावर चेहरा हैं. वहीं, केंद्रीय नागरिक उड्डयन और इस्पात मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का ग्वालियर गृह क्षेत्र हैं जहां उनकी खास पकड़ मानी जाती है. हालांकि, पिछले कुछ दिनों से सिंधिया और तोमर के बीच सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है क्योंकि दोनों एक साथ आने से परहेज करने में लगें है. अमित शाह के करीबी माने जाने वाले तोमर ग्वालियर-चंबल के कई कार्यक्रमों से दूरी बनाते दिखे जिसमे सिंधिया मौजूद थे. 


एक साथ आने से परहेज कर रहे तोमर-सिंधिया
नरेंद्र सिंह तोमर को बीजेपी ने मध्य प्रदेश चुनाव प्रबंधन समिति का संयोजक बनाया है, जिससे की वो राज्य में होने वाली चुनाव संबंधी सभी कार्यक्रम की मेजबानी उन्हीं के हांथों में हैं. जबकि ज्योतिरादित्य सिंधिया का बीजेपी को 2020 में फिर से एमपी की सत्ता दिलवाने में अहम रोल रहा है.


वहीं बीते दिनों एमपी के सीएम शिवराज सिंह चौहान ग्वालियर में थें. जहां कई कार्यक्रम के साथ रोड शो निकाला गया लेकिन इसमें नरेन्द्र सिंह तोमर नजर नहीं आए, उन्होंने तबीयत का हवाला देते हुए इससे दूरी बनाई. जबकि कहा जा रहा है कि रोड में सीएम चौहान के साथ ज्योतिरादित्य सिंधिया के होने की वजह से तोमर ने दूरी बरती. 


इसके बाद फूलबाग में हुए लाड़ली बहन योजना सम्मेलन में केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर शामिल हुए तो सिंधिंया नजर नहीं आए. जबकि इसके बाद राज्यमंत्री भारत सिंह के मां के निधन पर श्रद्धांजलि देने सीएम चौहान पहुंचे तो वहां नरेन्द्र तोमर साथ थे, लेकिन इसमें सिंधिया शामिल नहीं थे. 
 
यहीं नहीं, हाल में नरेंद्र तोमर ने कहा, 'ज्योतिरादित्य सिंधिया जब तक कांग्रेस में थें वो कांग्रेस पर वार करते थे और अब जब बीजेपी में है तो बीजेपी पर आरोप लगा रहे है'. उन्होंने कहा कि बीजेपी कार्यकर्ताओं को खड़ी करने वाली पार्टी है, जनता को जोड़ने वाली पार्टी है देश को आगे ले जाने वाली पार्टी है. हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि ज्योतिरादित्य सिंधिया का उपयोग बीजेपी को आगे बढ़ाने के लिए, देश और मध्य प्रदेश के विकास के लिए की जा रही है.  


तोमर बनाम सिंधिया से हो चुका है बीजेपी को नुकसान
बता दें कि पिछले साल ही तोमर बनाम सिंधिया के बीच मतभेद से बीजेपी को नुकसान उठाना पड़ा था. पिछले साल ग्वालियर में पहली बार बीजेपी को मेयर के चुनाव में हार मिली थीं. बीजेपी, तोमर और सिंधिया के गढ़ कहे जाने वाले ग्वालियर शहर में 57 साल बाद बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा था. इसके पीछे की वजह तोमर बनाम सिंधिया जंग को बताया जाता है जिसमें दोनों के बीच सीट बंटवारे को लेकर मत हुआ था.  वहीं इस बार माना जा रहा है कि तोमर और सिंधिया दोनों नेताओं की नजर विधानसभा चुनाव में अपने-अपने खेमों के कार्यकर्ता को टिकट दिलाने पर हैं. 


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