Mizoram Election Results: मिजोरम में करीब 10 साल के अंतराल के बाद मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) ने सत्ता में वापसी की है. प्रदेश की 40 सदस्यीय विधानसभा में एमएनएफ ने अंतिम जानकारी तक 26 सीटों पर जीत दर्ज कर चुकी है और दो अन्य पर वह आगे चल रही है. कांग्रेस को इन चुनावों में करारी हार का सामना करना पड़ा.
मिजोरम चुनावों के नतीजे आने के साथ ही पूर्वोत्तर के सातों राज्यों में कांग्रेस सत्ता से बाहर हो गई है. कांग्रेस ने 2013 के विधानसभा चुनावों में 34 सीटों पर जीत दर्ज की थी लेकिन इस बार उसके खाते में सिर्फ पांच सीटें आईं.
मुख्यमंत्री लल थनहवला ने दो सीटों से चुनाव लड़ा था और उन्हें दोनों ही सीटों पर शिकस्त का सामना करना पड़ा. थनहवला ने सेरसिप और चंपाई दक्षिण विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा था.
मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) के सूत्रों ने कहा कि शाम तक थनहवला अपना इस्तीफा राज्यपाल कुम्मानम राजशेखरन को सौंप देंगे. मिजो नेशनल फ्रंट ने 2008 में सत्ता पर अपनी पकड़ गंवा दी थी.
जोरम पीपुल्स मूवमेंट (जेडपीएम) ने पांच सीटें जीतीं और तीन अन्य पर आगे है. ईसाई बहुल इस राज्य में भाजपा ने अपना खाता खोल दिया है और पार्टी उम्मीदवार व पूर्व मंत्री बुद्ध धन चकमा ने चकमा बहुल दक्षिण मिजोरम की लावंगतलाई जिले के तुईचवांग सीट से जीत दर्ज की.
एमएनएफ के एफ ललनूनमवाई ने प्रदेश के कृषि मंत्री के एस थंगा को आइजोल दक्षिण-3 सीट से 2037 मतों के अंतर से हराया. विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष एमएनएफ के ललचामलियाना ने एक मात्र महिला विधायक और सहकारी मंत्री वनललावपुई चावंगथू को हरंगतूर्जो सीट से हराया.
जोरामथंगा ने की जोरदार वापसी
पिछले एक दशक से राजनीतिक गुमनामी झेल रहे विद्रोही से राजनेता बने जोरामथंगा ने जोरदार ढंग से वापसी की है. उनके नेतृत्व में मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) ने राज्य के चुनावों में जबर्दस्त जीत हासिल की है.
जोरामथंगा दो बार मिजोरम के मुख्यमंत्री रहे है. वह एक पूर्व भूमिगत नेता थे और एमएनएफ के नेता लालडेंगा के करीबी सहयोगी थे. जोरामथंगा (74) उस समय भूमिगत संगठन रहे एमएनएफ में शामिल हुए थे जब वह इम्फाल के डी एम कॉलेज से कला में स्नातक की डिग्री का इंतजार कर रहे थे. लालडेंगा के नेतृत्व वाले एमएनएफ ने एक मार्च,1966 को भारतीय संघ से आजादी मिलने की घोषणा की थी.
जोरामथंगा को जब यह पता चला कि वह अंग्रेजी ऑनर्स में स्नातक हो गये है तो उस समय वह एमएनएफ के अपने कामरेड के साथ जंगलों में थे. उन्हें 1969 में एमएनएफ ‘अध्यक्ष’ लालडेंगा का सचिव नियुक्त किया गया था और वह एमएनएफ पार्टी के उपाध्यक्ष भी रहे.
एमएनएफ के झंडे तले निर्दलीय उम्मीदवारों के एक समूह ने पहली बार 1987 में 40 सदस्यीय मिजोरम विधानसभा के लिए चुनाव लड़ा जिनमें से जोरामथंगा समेत 24 उम्मीदवार निर्वाचित हुए. बाद में कुछ विधायकों द्वारा दलबदल के बाद 1988 में मिजोरम में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया.
वह 1989 में हुए विधानसभा चुनावों में चम्फाई सीट से फिर से निर्वाचित हुए. लालडेंगा की फेफड़ों के कैंसर के कारण सात जुलाई,1990 को मृत्यु होने के बाद जोरामथंगा को एमएनएफ का अध्यक्ष बनाया गया और वह आज तक इस पद पर बने हुए है. उन्होंने 1993 में चम्फाई सीट से राज्य विधानसभा चुनाव लड़ा था और वह तीसरी बार जीते और राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता बने.
जोरामथंगा के नेतृत्व वाले एमएनएफ ने 1998 में राज्य विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज की और 21 विधायकों के साथ सरकार बनाई. वह पहली बार मुख्यमंत्री बने और अपना कार्यकाल पूरा किया. उन्होंने 2003 के राज्य विधानसभा चुनाव में सत्ता बरकरार रखी और वह मुख्यमंत्री बने रहे.
जोरामथंगा ने चम्फाई सीट और कोलासिब सीटों से जीत दर्ज की। हालांकि उन्होंने कालासिब सीट बाद में छोड़ दी थी.उनकी पार्टी को 2008 के चुनाव में करारी हार झेलनी पड़ी थी और यह पार्टी केवल तीन सीटों तक ही सिमट कर रह गई थी.जोरामथंगा दोनों चम्फाई उत्तर और चम्फाई दक्षिण सीटों पर हार गये थे.