नई दिल्ली: यूपी के मुजफ्फरनगर से बीजेपी प्रत्याशी संजीव बालियान ने बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि बुर्के की आड़ में फर्जी वोटिंग हो रही है. उन्होंने कहा कि मैंने चुनाव आयोग से शिकायत कर दी है. अगर इसकी जांच नहीं की गई तो मैं दोबारा मतदान की मांग करूंगा. उन्होंने कहा, ''बुर्के की आड़ में मुस्लिम महिलायें फर्जी वोट डाल रही हैं, अगर इनकी जांच नहीं की गई तो बहुत सारे फर्जी वोट पड़ेंगे. संजीव बालियान ने कहा कि पोलिंग बूथ पर एक भी महिला कांस्टेबल नहीं है इसलिए बुर्के वालों चेकिंग नहीं की जा रही है. कौन कितनी बार वोट डाल रहा है ये कैसा पता चलेगा. उनसे सिग्नेचर भी वोट डालने के बाद कराये जा रहे हैं.''

मुजफ्फरनगर भी पहले चरण की सबसे हाई प्रोफाइल सीटों में से एक है. इस सीट पर दो पूर्व केंद्रीय मंत्रियों संजीव बालियान और अजीत सिंह के बीच कांटे की टक्कर है. 2014 में संजीव बालियान ने कादिर राणा को हराकर जीत हासिल की थी. इस सीट पर पहले चरण के तहत आज मतदान हो रहे हैं.

उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले में इस लोकसभा चुनाव में 25,816 मतदाता पहली बार अपने मताधिकार का इस्तेमाल करेंगे. अतिरिक्त जिलाधिकारी अमित कुमार के मुताबिक मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट के 16,92,313 मतदाताओं के लिए 2,167 मतदान केंद्र स्थापित किए गए हैं. यहां 18-19 साल की उम्र के कुल 25,816 मतदाता पहली बार अपने मताधिकार का इस्तेमाल करेंगे.

जिले को 156 सेक्टरों में विभाजित किया गया है और हर सेक्टर में पुलिस बल के साथ एक मजिस्ट्रेट हैं.जिले में निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए अर्द्धसैनिक बलों की 21 कंपनियों और पीएसी की पांच कंपनियों के साथ स्थानीय पुलिस को तैनात किया गया है.

मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट से सपा-बसपा-आरएलडी गठबंधन के अजित सिंह, बीजेपी के संजीव बाल्यान और अन्य मैदान में है. इस सीट पर फिलहाल बाल्यान सांसद हैं.

मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट का इतिहास

आजादी के बाद से अब तक हुए 16 लोकसभा चुनावों में से 7 बार इस सीट पर कांग्रेस ने अपना कब्जा जमाया है. वहीं बीजेपी 4 बार इस सीट को हथियाने में कामयाब हुई है. बीएसपी और एसपी ने 1-1 बार ये सीट जीती है. वहीं आरएलडी का इस सीट पर अभी तक खाता भी नहीं खुला है.

1952 से 1967 तक इस सीट पर कांग्रेस का कब्जा रहा. इसके बाद सीपीआई ने कांग्रेस से ये सीट छीन ली. 1967 के लोकसभा चुनाव में इस सीट पर सीपीआई नेता लताफत अली खान सांसद बने. इसके बाद 1971 में भी सीपीआई के ही विजयपाल सिंह यहां से सांसद बने.

1977 में सीपीआई से ये सीट छीनकर जनता पार्टी ने कब्जा जमा लिया. इसके बाद हुए 1980 के चुनाव में भी यहां से जनता पार्टी के गयूर अली खान सांसद चुने गए.

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