लखनऊ: मायावती के बाद बीएसपी में कौन? ये सवाल पार्टी के अंदर भी और बाहर भी उठते रहे हैं. लेकिन इस मुद्दे पर पहली बार तस्वीर साफ़ होने लगी हैं. देवबंद में गठबंधन की रैली के बाद अब तो रत्ती भर शक की गुंजाइश नहीं बची है. बहन जी के भतीजे आकाश आनंद का राज्याभिषेक तय है. बस इंतज़ार शुभ मुहूर्त का है. बीएसपी सुप्रीमो की छत्रछाया में आकाश की ट्रेनिंग शुरू हो गई है. इसीलिए तो उनका रहन सहन और तौर तरीक अब बदलने लगा है. अब वे नेता की तरह दिखते हैं. आकाश की पहचान आम तौर पर महंगे और ब्रांडेड कपड़े पहनने वाले नौजवान की रही है. लेकिन वे मंच मंच पर ब्लू जींस और सफ़ेद शर्ट में अवतरित हुए.
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सहारनपुर के देवबंद से गठबंधन ने चुनाव प्रचार की शुरूआत की है. बीजेपी से मुक़ाबला के लिए एसपी, बीएसपी और आरएलडी इस बार एक साथ हो गई है. देवबंद में चुनावी मंच पर तीनों नेता पब्लिक के सामने पहली बार साथ आए. सबसे पहले बीएसपी चीफ़ मायावती ने भाषण दिया. फिर अखिलेश यादव और सबसे आख़िर में आरएलडी अध्यक्ष अजित सिंह ने जनता को संबोधित किया.
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मंच पर पहली लाइन में सिर्फ़ तीन कुर्सियां लगी थीं. तीनों को नए सफ़ेद तौलिए से सजाया गया था. सामने एक टेबल रख दी गई थी. बीच वाली कुर्सी पर मायावती बैठीं. उनकी बाईं तरफ़ अजीत सिंह और दाईं तरफ़ अखिलेश यादव बैठे. जब अजीत सिंह भाषण दे रहे थे, मायावती ने शम्सुद्दीन राइनी को अपने पास बुलाया. फिर उनके कान में कुछ कहा. शम्सुद्दीन बीएसपी के कोऑर्डिनेटर हैं. मंच का संचालन भी वही कर रहे थे. अजीत सिंह का भाषण ख़त्म होते ही उन्होंने आकाश आनंद के बारे में बताया. उन्होंने कहा कि वे बीएसपी के युवा नेता हैं. इसके बाद आकाश आगे आए. मायावती और अखिलेश भी उनके साथ खड़े हुए. सबने जनता का अभिवादन किया.
मंच पर मायावती के रहते कभी भी बीएसपी के किसी और नेता का नाम नहीं पुकारा गया. अपवाद के तौर पर एक दो बार सतीश चंद्र मिश्र को ये मौक़ा ज़रूर मिला है. लेकिन आकाश को पार्टी के मंच और कार्यक्रमों में जो इज़्ज़त मिल रही है. उससे तो यही लगता है कि वे मायावती के बाद नंबर टू बन गए हैं.
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आकाश तीन साल पहले पढ़ाई पूरी कर विदेश से लौटे हैं. वे मायावती के छोटे भाई आकाश के बेटे हैं. पहली बार लोगों ने उन्हें तब देखा था, जब वे अपनी बुआ के साथ सहारनपुर गए थे. मायावती के जन्म दिन पर जब अखिलेश यादव उनसे मिलने गए थे, तब भी आकाश अपनी बुआ के साथ थे. कहते हैं कि आकाश के कारण ही मायावती सोशल मीडिया में आईं. उन्होंने अपना ट्विटर अकांउट है. वे हिंदी और अंग्रेज़ी में आए दिन ट्वीट करती रहती हैं. बताते हैं कि ये सब आकाश ही देखते हैं. चंद्र शेखर आज़ाद और उनकी भीम आर्मी की लोकप्रियता के बाद मायावती के कान खड़े हो गए हैं. नौजवान दलितों को पार्टी से जोड़ने की ज़िम्मेदारी अब आकाश की है. पर्दे के पीछे से अब वही मायावती का सारा काम काज देखते हैं.