Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव के लिए शिवसेना ने महाराष्ट्र की 18 सीटों पर अपने चुनाव संयोजक नियुक्त कर दिए हैं. इससे साफ इशारा जा रहा है कि पार्टी इन सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है. शिवसेना का यह फैसला विपक्षी दलों के इंडिया गठबंधन के लिए एक और झटका साबित हो सकता है. उद्धव ठाकरे से पहले पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी और दिल्ली पंजाब में अरविंद केजरीवाल अपने उम्मीदवार उतारने का फैसला कर चुके हैं. यूपी में अखिलेश भी अपने उम्मीदवारों का एलान कर चुके हैं. ऐसे में सीटों के बंटवारे में देरी के कारण विपक्षी गठबंधन में दरार बढ़ती जा रही है.

विपक्षी दलों के गठबंधन में सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस है और यही पार्टी उम्मीदवारों के चयन में सबसे ज्यादा देरी कर रही है. अन्य क्षेत्रीय पार्टियां अपने क्षेत्रों में उम्मीदवारों के नाम का एलान कर चुकी हैं. 

एनडीए को मिलेगा फायदाविपक्षी दलों के साथ मिलकर लड़ने से एनडीए का नुकसान होता. सभी विपक्षी दल एक होकर चुनाव लड़ते और सीट शेयरिंग सही तरीके से होती तो वोट कटने की आशंका कम रहती. ऐसे में विपक्षी दलों के उम्मीदवारों के जीतने की संभावना ज्यादा होती. अब सभी दल अपनी मर्जी से उम्मीदवार उतार रहे हैं. इसका नुकसान गठबंधन को होगा और एनडीए को होने वाला नुकसान कम हो जाएगा. टीएमसी, आम आदमी पार्टी और समाजवादी पार्टी के इस फैसले से गठबंधन का महत्व खत्म सा हो जाता है.

कांग्रेस को सबसे ज्यादा नुकसानइस स्थिति का सबसे ज्यादा नुकसान कांग्रेस को होगा. अगर कांग्रेस पार्टी इंडिया गठबंधन में शामिल दलों के उम्मीदवारों के खिलाफ अपने ही उम्मीदवार उतारती है तो जनता के बीच यह संदेश जाएगा कि विपक्षी गठबंधन के दल आपस में ही लड़ रहे हैं और एनडीए के उम्मीदवार को वोट मिल सकते हैं. दूसरी स्थिति में कांग्रेस के पास यह विकल्प होगा कि पार्टी उन सीटों पर अपने उम्मीदवार न उतारे, जहां गठबंधन के अन्य उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं. इस स्थिति में कांग्रेस को कई अहम सीटें छोड़नी पड़ेंगी. दिल्ली में आम आदमी पार्टी ने एक और मुंबई में उद्धव ने सिर्फ दो सीटें छोड़ने का इशारा किया है. ऐसे में कांग्रेस के उम्मीदवारों की संख्या काफी कम हो जाएगी और पहले से ही टूट रही पार्टी से कई अन्य नेता टिकट नहीं मिलने पर इस्तीफा दे सकते हैं.

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