Lok Sabha Election 2024: केंद्र सरकार ने हाल ही में नागरिकता संशोधन एक्ट (CAA) के नियमों का नोटिफिकेशन जारी कर दिया है. इसी के साथ यह कानून देशभर में लागू हो गया है. इस कानून के तहत 31 दिसंबर 2014 से पहले पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों को भारत की नागरिकता दी जाएगी.

सीएए लागू करने के केंद्र सरकार के फैसले पर देशभर से मिली-जुली प्रतिक्रियाएं आ रही हैं. कहीं इसका स्वागत हो रहा है तो कहीं इसका विरोध किया जा रहा है. ऐसे में सवाल यह है कि चुनाव से पहले सीएए को लागू करके बीजेपी को कितना फायदा होने वाला हैं, क्योंकि इसका सबसे ज्यादा विरोध असम, पश्चिम बंगाल और पूर्वोत्तर के राज्यों में सबसे ज्यादा हो रहा है. 

ममता बनर्जी ने किया विरोधपश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी सीएए का विरोध करने की घोषणा की है.पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि सीएए बंगाल के दोबारा विभाजन और देश से बंगालियों को खदेड़ने का खेल है. वामपंथी दलों ने भी इसे चुनावी लॉलीपॉप करार दिया है. हालांकि, पश्चिम बंगाल के मतुआ समुदाय ने इस पर खुशियां जताई है. 50 विधानसभा सीट पर प्रभावउत्तर और दक्षिण 24-परगना जिले में मतुआ समुदाय के लोग बड़ी संख्या में रहते हैं. इसके अलावा नदिया जिले में भी उनकी तादाद काफी ज्यादा है. पश्चिम बंगाल में करीब तीन करोड़ लोग मतुआ समुदाय के हैं. इनका विधानसभा की कम से कम 50 सीट पर प्रभाव है. यह समुदाय लंबे अरसे से नागरिकता कानून की मांग कर रहा था. ऐसे में इसे लागू करने से बीजेपी मतुआ समुदाय को अपने पाले में ला सकती है.

असम में हो सकता है बीजेपी को नुकसानसीएए के लागू होने के बाद असम के कई संगठनों ने इसके खिलाफ प्रदर्शन किया. असम के सबसे प्रभावी छात्र संगठन ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (AASU) ने सोमवार इसकी कॉपी जलाकर अपना विरोध जताया. आसू के इस विरोध आंदोलन में 30 जनजातीय संगठन भी शामिल है. हालांकि, अगर यह विरोध बड़ा तो बीजेपी को असम में नुकसान उठाना पड़ सकता है.

हिंदू वोटर्स को साधने की कोशिश2011 की जनगणना के अनुसार असम की 3 करोड़ 12 लाख आबादी में 70 लाख से ज्यादा हिंदू बंगाली है. राज्य में असमिया हिंदुओं के बाद बंगाली हिंदू दूसरा सबसे बड़ा हिंदू समुदाय है. ऐसे में बीजेपी सीएए के जरिए असम में हिंदू वोटरों को साधने की कोशिश जुटी है. 

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