नई दिल्ली: ओडिशा के पुरी से कभी पीएम नरेन्द्र मोदी के चुनाव लड़ने की चर्चा थी. लेकिन यहां अब मुक़ाबला तीन बड़ी पार्टियों के प्रवक्ताओं में हैं. टीवी स्टूडियो के चर्चित चेहरे संबित पात्रा बीजेपी के उम्मीदवार हैं. बीजेडी के गढ़ पूरी में बीजेपी तो कभी दूसरे नंबर पर भी नहीं रही. इसीलिए संबित हर संभंव प्रयास कर रहे हैं. पात्रा कभी किसी के घर खाना पकाते हैं तो कभी झाडू उठा लेते हैं.

मंगलवार सुबह दस बज कर बीस मिनट पर संबित पात्रा अपने होटल से बाहर निकले. पुरी में संबित ने एक होटल में डेरा डाल रखा है. अपने सहयोगियों के साथ वह चुनाव प्रचार पर निकल गए. क़रीब पचास किलो मीटर के सफ़र के बाद संबित का क़ाफ़िला एक जगह रुका. यहां उन्होंने एक आधे-अधूरे बने घर में बीजेपी कार्यकर्ताओं के साथ बैठक की. ओडिया भाषा में संबित ने मोदी को फिर से पीएम बनाने के लिए सबको एकजुट होने को कहा.

इसके बाद संबित पात्रा का क़ाफ़िला चिल्का की तरफ़ बढ़ रहा था. आगे रोड पर जाम लगा था. सडक के दोनों तरफ़ सैकड़ों गाड़ियां घंटों से खड़ी थीं. कुछ लोगों के हाथों में लाठियां थीं तो कुछ लोग ज़ोर-ज़ोर से नारे लगा रहे थे. बताया गया कि सवेरे से ही ये हाल है. एक भी गाड़ी आगे नहीं जाने दिया जा रहा है. बीच सड़क पर गाड़ी को भी सड़क जाम कर रहे लोगों ने रोक लिया. नाराज लोगों को उन्होंने समझाया बुझाया. आधे घंटे तक यही सब चलता रहा. सडक जाम करने वाले बीजेपी के ही कार्यकर्ता थे. इसीलिए सब मान गए.

इसके बाद उनकी गाड़ी आगे निकली और क़रीब तीस किलोमीटर के सफ़र के बाद हम बालू गांव पहुंची. यहीं से संबित पात्रा का रोड शो शुरू होना था. अपने ख़ास समर्थकों संग संबित पात्रा रथ पर सवार हो गए और रोड शो करने लगे.

इस बीच पीएम मोदी के समर्थन में गाने बज रहे थे. नारे लग रहे थे डबल इंजन नहीं चलेगा. यानी दिल्ली और भुवनेश्वर में अलग अलग सरकार नहीं होनी चाहिए. ओडिशा में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव साथ साथ होते हैं. तपती दोपहरी में बीजेपी का रोड शो शुरू हुआ. संबित पात्रा कभी हाथ हिलाते रहे तो कभी रास्ते में मिलने वाले लोगों को हाथ जोड़ कर नमस्कार करते रहे. ओडिशा पहुंच कर संबित की वेश भूषा और बोल चाल सब बदल गए हैं. अब वे स्टूडियो वाले प्रवक्ता नहीं खॉंटी नेता नजर आने लगे. पुरी के बाहरी इलाक़ों में संवित पात्रा का रोड शो क़रीब तीन घंटों तक चला.

पीएम नरेन्द्र मोदी के पुरी से चुनाव लड़ने की चर्चा साल भर तक चली. पार्टी की ओडिशा इकाई ने तो इस मामले में प्रस्ताव पास कर बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह को भी भेज दिया था. केन्द्र सरकार के चार साल पूरे होने पर पीएम मोदी ने कटक में कार्यक्रम किया. बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक भुवनेश्वर में हुई. इन सब से ये संकेत गया कि मोदी भगवान जगन्नाथ के धाम पुरी से लोकसभा का चुनाव लड़ सकते हैं. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. पुरी नवीन पटनायक की पार्टी बीजेडी का गढ़ माना जाता है. 1998 से ही यहां बीजेडी जीत रही है. बीजेपी तो कभी दूसरे नंबर पर भी नहीं रही. पटनायक की पार्टी का मुक़ाबला कांग्रेस से ही होता रहा. इस बार सत्य प्रकाश नायक कांग्रेस के टिकट पर पुरी से चुनाव लड़ रहे हैं.

चुनाव प्रचार और विवाद

चुनाव प्रचार में भी विवाद संबित पात्रा का पीछा नहीं छोड रहा. ग़रीब महिला के घर खाना बनाने को लेकर उनकी किरकिरी हुई. सोशल मीडिया में लोगों ने उनका मज़ाक़ उड़ाया. भगवान जगन्नाथ की मूर्ति हाथ में लेकर प्रचार करने पर चुनाव आयोंग ने संबित को नोटिस भेज दिया. संबित पेशे से डॉक्टर हैं. इस से पहले वे एक और चुनाव लड़ चुके हैं. 2012 में वे दिल्ली के कश्मीरी गेट से बीजेपी की टिकट पर पार्षद के उम्मीदवार थे, लेकिन संबित चुनाव हार गए. जगन्नाथ की नगरी में चुनाव प्रचार आख़िरी दौर में है. मौजूदा सांसद पिनाकी मिश्र बीजेडी के उम्मीदवार हैं. वे यहां से तीन बार एमपी रह चुके हैं. सुप्रीम कोर्ट के वकील मिश्र नवीन पटनायक की पार्टी के प्रवक्ता भी हैं. पिछले चुनाव में बीजेडी को 50.33%, कांग्रेस को 25% और तीसरे नंबर पर रही बीजेपी को 20.76% वोट मिले थे. पुरी सीट जीतना बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती है.

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