Karnataka Results: कर्नाटक का विधानसभा चुनाव कांग्रेस ने पूर्ण बहुमत से जीता है. 13 मई को कांग्रेस ने 224 सदस्यीय कर्नाटक विधानसभा में 135 सीटें जीतकर सत्ता में वापसी की. इस बार के चुनाव को लेकर राज्य में राजनीतिक पार्टियों का प्रचार अभियान बहुत जोरशोर से हुआ था. बीजेपी के स्टार प्रचारक के रूप में यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी तमाम रैलियां और रोड शो किये. इसके बावजूद बीजेपी की बुरी तरह से हार हुई. अब सवाल ये है कि कर्नाटक की जिन जगहों पर सीएम योगी ने प्रचार किया था, वहां के नतीजे क्या रहे हैं? इन सबके बारे में हम आपको विस्तृत जानकारी देंगे.


सीएम योगी ने किया दो बार दौरा
बीजेपी की तरफ से प्रचार करने के लिए सीएम योगी आदित्यनाथ कर्नाटक पहुंचे थे. नौ विधानसभा क्षेत्रों में उनकी रैलियां और रोड शो के कार्यक्रम हुए. सीएम योगी ने कर्नाटक में ज्यादा प्रचार नहीं किया, क्योंकि यूपी में भी निकाय चुनाव थे. कर्नाटक में सीएम सिर्फ दो बार ही प्रचार करने गए, जिसमें पहली बार 30 अपैल को उन्होंने 4 विधानसभा क्षेत्रों में रैली की. वहीं, दूसरी बार 6 मई को उन्होंने 5 विधानसभा क्षेत्रों में रैली और रोड शो किया. कुल नौ विधानसभा क्षेत्रों में से केवल दो सीटों पर बीजेपी, छह सीटों पर कांग्रेस और एक सीट पर कल्याण राज्य प्रगति पक्ष के प्रत्याशी जीते हैं.


कर्नाटक में नहीं चला सीएम योगी का जादू
कर्नाटक में सीएम योगी के प्रचार और बीजेपी की हार को लेकर एक राजनीतिक विश्लेषक ने बताया कि इस समय देश में उत्तर बनाम दक्षिण का मुद्दा हावी है. कानून व्यवस्था को लेकर भले ही सीएम योगी देशभर में चर्चा के केंद्र बिंदु में हैं. लेकिन, चुनाव में इसका खास फायदा बीजेपी को नहीं मिला. कर्नाटक में हिंदुत्व के मुद्दे पर जातिगत आरक्षण भारी पड़ गया. इसके अलावा, बीजेपी की आंतरिक कलह, परिवारवाद और भ्रष्टाचार के आरोपों का मुद्दा भी पार्टी के लिए नुकसानदायक साबित हुआ. जिसके सामने योगी फेस और बीजेपी की ध्रुवीकरण का प्रयास भी काम नहीं आया.


कर्नाटक चुनाव में रहे ये मुद्दे
कर्नाटक विधानसभा चुनाव में ध्रुवीकरण का मुद्दा जोर पकड़े था. बीजेपी, कांग्रेस और जेडीएस ने जमकर ध्रुवीकरण का प्रयास किया. वहीं, चुनाव से पहले राज्य में हिजाब, हलाल और मुस्लिम आरक्षण का मुद्दा सुर्खियों में रहा. चुनाव आते ही कांग्रेस ने घोषणापत्र में बजरंग दल पर प्रतिबंध लगाने का वादा करके नए सिरे से ध्रुवीकरण करने की कोशिश की. बीजेपी ने इसे भगवान बजरंग बली से जोड़ा. लेकिन, बीजेपी की ये चाल भी काम नहीं आई. इसके बाद में फिल्म 'द केरल स्टोरी' भी राज्य में चुनावी मुद्दा बना रहा.


ये भी पढ़ें- Karnataka Politics: 10 साल पहले खरगे से हुई थी सिद्धारमैया की तकरार, इस बार शिवकुमार से रार- CM पद के लिए सस्पेंस बरकरार