महाराष्ट्र-हरियाणा विधानसभा चुनाव 2019: महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजों का एलान 24 अक्टूबर को होने जा रहा है. 2014 में बीजेपी ने इन दोनों राज्यों में बिना चेहरे के चुनाव लड़ा था और सत्ता पाने में कामयाबी हासिल की. लेकिन 2019 में बीजेपी ने दोनों राज्यों के सीएम देवेंद्र फडणवीस और मनोहर लाल खट्टर के चेहरे पर ही चुनाव मैदान में उतरने का फैसला किया. ऐसे में 24 अक्टूबर को आने वाले नतीजे दोनों चेहरों का कद भी तय करने का रहे हैं.

अगर दोनों राज्यों में पिछली बार से ज्यादा सीटें आईं तो मुख्यमंत्रियों का पार्टी में कद बढ़ेगा, वहीं अगर सीटों का नुकसान हुआ तो पार्टी के अंदरखाने दोनों के नेतृत्व पर भी सवाल उठ सकते हैं. बीजेपी सूत्रों का कहना है कि चुनाव से पहले ही इस बात से खट्टर और फडणवीस दोनों भलीभांति वाकिफ रहे, यही वजह है कि उन्होंने पूरी ताकत झोंक दी. चुनाव कार्यक्रम घोषित होने से पहले ही सभी सीटों से गुजरने वाली यात्राएं कर पार्टी के पक्ष में माहौल बनाया.

2014 में मोदी के नाम पर लड़ा था चुनाव

दरअसल, 2014 के विधानसभा चुनाव में दोनों राज्यों में पार्टी ने कोई स्थानीय चेहरा तय किए बगैर ही चुनाव लड़ा था. मई में तब मोदी सरकार सत्ता में आई थी. बीजेपी के पक्ष में तेज लहर चल रही थी, उसी मोमेंटम में करीब पांच महीने बाद ही अक्टूबर में दोनों राज्यों के विधानसभा चुनाव हुए और बीजेपी ने लोकसभा चुनाव में जीत की लय बरकरार रखी.

हरियाणा में 47 सीटें जीतकर पार्टी ने अपने दम पर सरकार बनाई थी तो महाराष्ट्र में सर्वाधिक 122 सीटें जीतने के बाद भी बहुमत से दूर रहने पर शिवसेना के साथ गठबंधन कर सरकार बनाना पड़ा था. बीजेपी ने दोनों राज्यों का विधानसभा चुनाव तब प्रधानमंत्री मोदी के चेहरे पर लड़ा था. नतीजे घोषित होने के बाद पार्टी ने हरियाणा में गैर जाट मनोहर लाल खट्टर और महाराष्ट्र में गैर मराठा ब्राह्मण चेहरे फडणवीस को मुख्यमंत्री बनाकर सबको चौंका दिया था.

मगर इस बार पार्टी ने हरियाणा और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्रियों के चेहरे को ही आगे कर चुनाव लड़ा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के अध्यक्ष अमित शाह राज्यों की हर चुनावी रैली में मुख्यमंत्रियों का गुणगान करते रहे. बीजेपी से जुड़े सूत्र बताते हैं कि अगर हरियाणा में पार्टी की इस बार 47 से ज्यादा सीटें आईं और महाराष्ट्र में पिछली बार की 122 से ज्यादा सीटें आईं तो तब तो माना जाएगा कि दोनों चेहरे चुनाव में चल गए और अगर इससे कम सीटें आईं तो माना जाएगा कि पार्टी की अपेक्षाओं पर पूरी तरह खरे नहीं उतरे. वहीं पार्टी के अंदर मौजूद दोनों मुख्यमंत्रियों का विरोधी धड़ा भी नेतृत्व को लेकर सवाल खड़े कर सकता है.

बीजेपी के एक नेता ने कहा, "यह सच है कि धमाकेदार जीत जरूर दोनों मुख्यमंत्रियों का कद बढ़ाएगी, मगर पिछली बार से कम सीटें आने की बात करना ही बेकार है. हरियाणा में खट्टर और महाराष्ट्र में फडणवीस ने राजनीति की पुरानी मान्यताओं को ध्वस्त करते हुए विकास का नया मॉडल खड़ा किया है. यही वजह है कि पार्टी ने उनके चेहरे को आगे कर चुनाव लड़ा. जनता वोट देते समय मोदी का चेहरा देखती है. दोनों राज्यों में बहुमत की सरकार बनने जा रही है."

Analysis: महाराष्ट्र और हरियाणा के चुनाव परिणाम का बिहार और दिल्ली पर क्या होगा असर?