हरियाणा विधानसभा चुनाव 2019: हरियाणा की 90 विधानसभा सीटों पर आज मतदान हो रहा है. हरियाणा में 18,282,570 मतदाता अपने वोटिंग राइट्स का इस्तेमाल करेंगे जिसमें 85 लाख महिलाएं और 252 ट्रांसजेंडर मतदाता शामिल हैं. इसके लिए 19,578 केंद्र बनाए गए हैं. चुनाव लड़ रहे प्रमुख उम्मीदवारों में सीएम मनोहर लाल खट्टर (करनाल), पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस विधायक दल के नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा (गढ़ी सांपला किलोई), रणदीप सिंह सुरजेवाला (कैथल), किरण चौधरी (तोशाम) और कुलदीप विश्नोई (आदमपुर) और जजपा के दुष्यंत चौटाला (उचना कलां) शामिल हैं.
बीजेपी ने तीन खिलाड़ियों को मैदान में उतारा हैं जिसमें बबीता फोगाट (दादरी), योगेश्वर दत्त (सोनीपत में बरोडा) और संदीप सिंह (पेहोवा) शामिल हैं. वहीं बीजेपी ने टिक टॉक स्टार सोनाली फोगाट को (आदमपुर) से चुनाव मैदान में उतारा है.
मनोहर लाल खट्टर
हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर की बहुत ही फिल्मी सियासी कहानी है. पहला चुनाव लड़े और फिर मुख्यमंत्री बन गये. लाइम लाइट से दूर रहने वाले खट्टर पर पूरे देश की नजर है. डेढ दशक से अधिक आरएसएस का प्रचारक रहने के बाद मनोहर लाल खट्टर ने बीजेपी ज्वाइन की थी. बीजेपी से जुड़ने के 20 साल बाद उन्होंने अपना पहला चुनाव लड़ा. 2014 में लोकसभा चुनाव की जीत से जो मोदी लहर का आगाज हुआ था उसकी वजह से बीजेपी हरियाणा में पहली बार विधानसभा चुनाव में पूर्ण बहुमत हासिल करने में कामयाब रही. 2014 में हरियाणा में कैप्टन अभिमन्यू, रामबिलास शर्मा, अनिल विज, कृष्ण पाल बड़े चेहरों के बजाए बीजेपी ने सबको चौंकाते हुए मनोहर लाल खट्टर को राज्य का सीएम बनाया. मनोहर लाल खट्टर बीजेपी का सरप्राइज पैकेज इसलिए थे क्योंकि 2014 में ही उन्होंने अपनी जिंदगी का पहला चुनाव लड़ा और बड़ी जीत हासिल की.
भूपेंद्र सिंह हुड्डा
हरियाणा की राजनीति में पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा कांग्रेस पार्टी के कद्दावर नेता के रूप में मैदान में बने हुए हैं. लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद कांग्रेस हाईकामन ने हुड्डा के बागी तेवरों को देखते हुए ना सिर्फ उन्हें नेता विपक्ष की कमान दी, बल्कि उनकी मांग को मानकर अशोक तंवर को अध्यक्ष पद से हटा दिया गया. राज्य कांग्रेस का सबसे बड़े चेहरा बनने के लिए भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने राजनीति में 30 साल से लंबा सफर तय किया है. हुड्डा ने 25 साल की उम्र में अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत कांग्रेस से ही की. यूथ कांग्रेस में कई बड़ी जिम्मेदारियां निभाने के बाद 1991 में भूपेंद्र सिंह हुड्डा को रोहतक से लोकसभा चुनाव का टिकट दिया गया. भूपेंद्र सिंह हुड्डा पूर्व उप प्रधानमंत्री देवीलाल को चुनाव में मात देकर पहली बार लोकसभा में पहुंचे. इतना नहीं नहीं 1996 और 1998 के लोकसभा चुनाव में भी हुड्डा ने देवीलाल को मात दी. 2005 में कांग्रेस को हरियाणा विधानसभा चुनाव में 67 सीटों पर जीत मिली. ऐसा माना जा रहा था कि भजनलाल राज्य के सीएम बनेंगे, लेकिन कांग्रेस ने सबको चौंकाते हुए भूपेंद्र सिंह हु्ड्डा को सीएम बनाया. 2009 के लोकसभा चुनाव और फिर विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को बड़ी जीत मिली. इसके बाद दूसरी बार हुड्डा को राज्य का सीएम बनाया गया. हुड्डा को इलेक्शन कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया है और वह इस वक्त राज्य में सबसे बड़ा जाट चेहरा भी हैं.
रणदीप सिंह सुरेजवाला
कांग्रेस के दिग्गज नेता रणदीप सुरेजवाला पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता बनने के बनने के बाद अपनी एक अलग पहचान बना चुके हैं. लेकिन इस मुकाम पर पहुंचने से पहले रणदीप सुरजेवाला ने हरियाणा की राजनीति में लंबा सफर तय किया है. भूपेंद्र सिंह हुड्डा के कार्यकाल में कैबिनेट मंत्री रहे रणदीप सुरजेवाला ने दो बार हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला को विधानसभा चुनाव में मात दी है. 2014 के विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस की करारी हार के बावजूद रणदीप सुरजेवाला अपनी सीट बचाने में कामयाब रहे. राहुल गांधी के कांग्रेस उपाध्यक्ष बनने के बाद सुरजेवाला की एंट्री राष्ट्रीय राजनीति में हो गई थी. राहुल गांधी के अध्यक्ष बनने के बाद पार्टी में सुरजेवाला का कद और बढ़ा. 2019 के विधानसभा चुनाव में सुरजेवाला के सामने एक बार फिर से अपनी कैथल सीट बचाए रखने की चुनौती होगी.
कुलदीप बिश्नोई
पूर्व सीएम भजनलाल के बेटे कुलदीप बिश्नोई एक वक्त अपने आप को सीएम के दावेदार के तौर पर पेश किया करते थे, पर अभी उनका कद सिर्फ अपने हलके तक सिमट कर रह गया है. कुलदीप बिश्नोई के पिता भजनलाल हरियाणा के दो बार मुख्यमंत्री बने. 1998 में कुलदीप बिश्नोई की राजनीति का आगाज हुआ और वह आदमपुर से विधायक चुने गए. 2004 में कुलदीप बिश्नोई दो पूर्व सीएम के बेटे अजय चौटाला और सुरेंद्र को भिवानी से लोकसभा चुनाव में मात देकर पहली बार संसद में पहुंचे. विधानसभा चुनाव में कुलदीप बिश्नोई के सामने आदमपुर की वो सीट बचाए रखने की चुनौती है जिस पर उनके परिवार को 1968 के बाद से कभी हार सा सामना नहीं करना पड़ा.
दुष्यंत चौटाला
हरियाणा की ज्यादातर सीटों पर बीजेपी कांग्रेस और जेजेपी के बीच त्रिकोणीय मुकाबला है लेकिन कुछ ऐसी भी सीटें हैं जहां आर-पार की लड़ाई है. ऐसी ही एक सीट है हरियाणा के जींद जिले में आने वाली उचाना कलां विधानसभा सीट. उचाना कलां विधानसभा सीट हरियाणा की उन चुनिंदा सीटों में से एक है जहां बीजेपी का सीधा मुकाबला जेजेपी से है. लगातार दूसरी बार दुष्यंत चौटाला और चौधरी बीरेंद्र सिंह की पत्नी प्रेमलता आमने-सामने हैं. जहां एक तरफ प्रेमलता लगातार दूसरी बार जीत दर्ज कर बीरेंद्र सिंह के राजनीतिक रसूख को बचाना चाहेंगी वहीं दूसरी ओर दुष्यंत चौटाला यहां पहली बार जीत हासिल कर चौटाला परिवार की राजनीतिक विरासत पर अपनी दावेदारी को और मजबूत करना चाहेंगे.
2014 में दुष्यंत चौटाला ने उचाना सीट से चुनाव लड़ने का एलान किया था. दुष्यंत का मुकाबला करने के लिए बीजेपी ने बीरेंद्र सिंह की पत्नी प्रेम लता को मैदान में उतारा. दुष्यंत 2014 के चुनाव में दादा ओमप्रकाश चौटाला की इस सीट को बचाने में कामयाब नहीं हो पाए और उन्हें प्रेम लता के हाथों 7,480 वोट से हार का सामना करना पड़ा. हालांकि, इस बार चुनावी लड़ाई बेहद कड़ी है और जीत का सेहरा किसके सिर बंधेगा, ये 24 तारीख को नतीजों के बाद ही पता चलेगा.