Gujarat Assembly Elections 2022: गुजरात में विधानसभा चुनाव में अब कुछ ही समय बचा हुआ है. सभी सियासी दल जमकर चुनाव प्रचार कर रहे हैं. राज्य में बीजेपी,कांग्रेस और आम आदमी पार्टी में कांटे की टक्कर का मुक़ाबला देखा जा रहा है. गुजरात में चुनाव दो चरणों में होगी. पहले चरण की वोटिंग 1 दिसंबर को होगी. वहीं दूसरे चरण की वोटिंग 5 दिसंबर को होनी है. नतीजों का ऐलान हिमाचल प्रदेश के चुनावों के साथ 8 दिसंबर को होगा. गुजरात में कुल 182 विधानसभा सीटें हैं और बहुमत का आंकड़ा 92 है. राज्य में कुल 4.91 करोड़ मतदाता है. 


आइये बात करते है दस मुद्दे गुजरात विधानसभा चुनाव में जो सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे :



1. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता : प्रधानमंत्री मोदी का गुजरात और वहां के लोगो से काफी ख़ास रिश्ता है. मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री रह चुके है जो 2001 से 2014 तक कुर्सी पर थे. बीजेपी के पास पीएम मोदी के रूप में एक तुरुप का इक्का है. उन्हें कुर्सी छोड़े हुए आठ साल हो गए हैं लेकिन अपने गृह राज्य में समर्थकों पर उनका प्रभाव अभी भी कायम है. आगामी चुनावों में मोदी  निर्णायक भूमिका निभाएंगे ऐसा माना जा रहा है. 


2. मोरबी ब्रिज ढहने की घटना : 30 अक्टूबर 2022 को मोरबी में 135 लोगों की जान लेने वाले पुल के ढहने से प्रशासन और अमीर व्यापारियों के बीच सांठगांठ सामने आ गई है. जब लोग अगली सरकार चुनने के लिए मतदान करने जाएंगे तो उनके दिमाग में यह मुद्दा हावी होने की संभावना है. 


3. गुजरात में सत्ता विरोधी लहर : गुजरात में 1998 के बाद से बीजेपी का राज चल रहा है. 24 सालों से इस राज्य में लगातार बीजेपी की ही सरकार बनी है. जनता में असंतोष बढ़ रहा है, ऐसा राजनीतिक पर्यवेक्षकों की राय है. लोगों का ऐसा भी मानना ​​है कि बीजेपी के इतने सालों की सरकार के बाद भी महंगाई, बेरोजगारी जैसे मुद्दे अनसुलझे हैं. 


4. बिलकिस बानो केस : गुजरात को संघ परिवार की हिंदुत्व प्रयोगशाला माना जाता है. मुस्लिम बिलकिस बानो के लिए न्याय की मांग कर रहे हैं जबकि हिंदुओं का एक वर्ग इस मुद्दे को नजरअंदाज करना चाहेगा. मामले में दोषी ठहराए गए 11 लोगों को 15 अगस्त को गोधरा उप-जेल से रिहा कर दिया गया था.  गुजरात सरकार ने अपनी छूट नीति के तहत उनकी रिहाई की अनुमति दी थी. 


5. सरकारी भर्ती के परीक्षा में घोटाले : काफी सारे पेपर लीक होने की खबर सामने आई है और स्थगित भी हुई है. सरकारी नौकरी हासिल करने के लिए लोग काफी मेहनत करते हैं. ख़ास कर के नौजवान लोग लेकिन ऐसी घटनाओं के होने से लोगों की उम्मीदों पर पानी फिर गया है, जिससे काफी नाराजगी है. 


6. मूल शिक्षा एवं अच्छी स्वास्थ्य सुविधाएं : अगर अच्छे स्कूलों का निर्माण किया जाता है. ग्रामीण क्षेत्रों में तो शिक्षकों की कमी होती है और अगर अच्छे शिक्षक हैं तो शिक्षा को प्रभावित करने वाले कक्षाओं की कमी है.  प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और डॉक्टरों की कमी भी ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं पर विपरीत प्रभाव डालती है. 


7. बिजली के दाम : गुजरात में बिजली दर देश में सबसे अधिक है. लोग आम आदमी पार्टी और कांग्रेस से प्रति माह 300 यूनिट मुफ्त देने की पेशकश का इंतजार कर रहे हैं. दक्षिणी गुजरात चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ने हाल ही में वाणिज्यिक बिजली शुल्क में कमी की मांग करते हुए कहा कि उन्हें 7.50 रुपये प्रति यूनिट का भुगतान करना होगा. 


8. ख़राब सड़क व्यवस्था : एक समय हुआ करता था जब गुजरात की सड़के बहुत शानदार हुआ करती थी और पूरे देश में प्रसिद्ध थी. लेकिन पिछले पांच से छह वर्षों में गुजरात सरकार और नगर निगम पुरानी सड़कों में न तो मरम्मत करा पाए और न ही नयी अच्छी सड़क का निर्माण कर पाए. पूरे राज्य में सड़कों में गड्ढों की शिकायत है. 


9. किसान आंदोलन : किसान राज्य के कई हिस्सों में आंदोलन कर रहे हैं क्योंकि पिछले दो वर्षों में ज्यादा बारिश होने के कारण उन्हें फसल के नुकसान का मुआवजा नहीं दिया गया है. 


10. किसानों के बीच भूमि अधिग्रहण के मुद्दे : विभिन्न सरकारी परियोजनाओं के लिए जिन किसानों की जमीनों का अधिग्रहण किया जा रहा है, उनमें किसानों और जमींदार में असंतोष है. उदाहरण के लिए, किसानों ने अहमदाबाद और मुंबई के बीच हाई-स्पीड बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण का विरोध किया, उन्होंने वडोदरा और मुंबई के बीच एक्सप्रेसवे परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण का भी विरोध किया था.