नई दिल्ली: वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सोमवार को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के सत्ता में आने पर पांच करोड़ गरीब परिवारों को हर साल 72,000 रुपये देने के वादे को लोगों को झांसा देने वाली घोषणा बताया. उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी जो वादा कर रही है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले से उससे ज्यादा गरीबों को दे रहे हैं.
जेटली ने ट्विटर पर लिखा है, "सामान्य गणित पर कांग्रेस पार्टी की घोषणा को आंका जाए तो 72,000 रुपये मोदी सरकार में प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) के जरिये गरीबों को विभिन्न सब्सिडी मद में दिए जा रहे औसतन सालान 1.068 लाख रुपये से कहीं कम है. कांग्रेस पार्टी जो भी वादा कर रही है, वह सिर्फ झांसा देने वाली घोषणा है."
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वित्त मंत्री ने कहा कि पिछले पांच साल में प्रधानमंत्री ने बैंकों के जरिये सीधे गरीब परिवारों के खातों में सब्सिडी की राशि डालने के लिये प्रत्यक्ष लाभ अंतरण योजना शुरू की. खाद्य, उर्वरक, केरोसिन के अलावा 55 मंत्रालय डीबीटी के जरिये गरीबों को सब्सिडी दे रहे हैं.
अरुण जेटली ने एक अन्य ट्वीट में कहा, "आज ज्यादातर औद्योगिक कर्मचारियों को 12,000 रुपये मासिक से अधिक मिल रहा है. सातवें वेतन आयोग के बाद सरकारी नौकरी में शुरुआती वेतन 18,000 रुपये मासिक है. भूमिहीन किसानों को मनरेगा के तहत भुगतान किया जा रहा है. श्रमिकों का न्यूनतम वेतन करीब 42 प्रतिशत बढ़ाया गया है."
जेटली ने ट्विटर पर लिखा कि नेहरू मॉडल से आर्थिक वृद्धि धीमी हुई. इंदिरा गांधी ने 1971 में गरीबी हटाओ का नारा दिया. इससे गरीबी घटने के बजाय बढ़ी. उन्होंने लिखा, "देश में विरासत में मिली गरीबी कांग्रेस पार्टी के अक्षम शासन को प्रतिबिंबित करती है."
बता दें कि राहुल गांधी ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि उनकी पार्टी सत्ता में आने के बाद देश के सबसे अधिक गरीब 5 करोड़ गरीब परिवार को न्यूनतम आय गारंटी के तहत सालाना 72,000 रुपये देगी.
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