Himachal Pradesh Election 2022: हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए 12 नवंबर को मतदान हुए थे, जिसके नतीजे 8 दिसंबर को आएंगे. नेताओं के साथ प्रदेश की जनता को भी इन नतीजों का इंतजार है. लेकिन सत्तारूढ बीजेपी और कांग्रेस को एक अलग ही चिंता सताए जा रही है. जहां कांग्रेस को अपने विधायकों के बीजेपी की ओर से हॉर्स ट्रेडिंग किए जाने की आशंका सता रही है तो वहीं, बीजेपी को अपने बागी नेताओं से नुकसान होने की चिंता सता रही है. 

दरअसल, हिमाचल विधानसभा से पहले बीजेपी ने अपने की नेताओं के टिकट काट दिए, जिसके बाद पार्टी के नेता बीजेपी के आधिकारिक उम्मीदवार के खिलाफ निर्दलीय ही मैदान में उतर गए. बीजेपी से निकलकर यह निर्दलीय नेता पार्टी का खेल बिगाड़ सकते हैं. बता दें कि साल 1990 के हिमाचल विधानसभा चुनाव में कांग्रेस में बगावत हो गई थी. कांग्रेस में बगावत इस कदर हुई कि राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री ठाकुर रामलाल भी पार्टी छोड़ गए. इस बगावत के बाद लगा कि कांग्रेस अब कभी हिमाचल में नहीं खड़ी हो पाएगा.      कांग्रेस 68 में से 9 सीटें ही जीती साल 1990 के चुनाव में कांग्रेस ने 68 में से महज 9 सीटें ही जीत पाई थी, वहीं बीजेपी ने प्रचंड जीत हासिल करते हुए 46 सीटों पर कब्जा जमाने में कामयाब रही. यह दौर कांग्रेस के विरोध में 'जनता दल' का उभार का दौर था. जनता दल कांग्रेस के विकल्प के तौर पर उभर रही थी, पूर्व मुख्यमंत्री के साथ में कांग्रेस के दिग्गज नेता और कांगड़ा से विधायक मेजर विजय मनकोटिया भी जनता दल में शामिल हो गए.  13 में से 11 सीटें जीती जनता दल 1990 के चुनाव में जनता दल ने 13 सीटों पर ही अपने उम्मीदवार उतारे थे, जिसमें से रिकॉर्ड 11 उम्मीदवार जीते. पूर्व मुख्यमंत्री ठाकुर रामलाल और मनकोटिया जैसे नेताओं के उभार से लगने लगा था कि हिमाचल में अब बीजेपी-कांग्रेस का विकल्प मिल गया. मगर, ढाई साल के बाद ही ठाकुर रामलाल और विजय मनकोटिया के साथ में कई नेता कांग्रेस के दरवाजे पर वापस लौट आए और वीरभद्र सिंह का नेतृत्व स्वीकार लिया. 

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